हैदराबाद सूबा, [1] जिसे गोलकुंडा सूबा के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप के पूर्वी दक्कन क्षेत्र को कवर करने वाला मुगल साम्राज्य का एक प्रांत था। इसका निर्माण १६८७ में, मुगल सम्राट औरंगज़ेब के शासनकाल के दौरान, गोलकुंडा सल्तनत के विलय द्वारा किया गया था। बाद में १८वीं शताब्दी में मुगल साम्राज्य के पतन के साथ ही यह अलग होना शुरू हो गया, और निज़ाम- प्रशासित दक्कन के हिस्से के रूप में पूरी तरह से स्वतंत्र हो गया।
औरंगज़ेब द्वारा कब्जे पर प्रांत को दार-उल जिहाद (युद्ध का घर) की आधिकारिक उपाधि दी गई थी।
प्रशासनिक प्रभाग
हैदराबाद सूबा के जिले | ज़िला | परगना की संख्या |
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तेलंगाना | मुहम्मदनगर (राजधानी जिला) | १२ |
भोंगीर | ११ |
देवाराकोंदा | १३ |
एल्गंडेल | २१ |
घनपुरा | ९ |
कौलास | ५ |
खम्मामेट | ११ |
कोइलकोंडा | १३ |
मालंकुर | ३ |
मेडक | १३ |
नलगोंडा | ५ |
पांगल | ५ |
वारंगल | १६ |
आंध्र | एलुरु | ११ |
मछलीपट्टनम | ८ |
मुर्तजानगर | ५ |
मुस्तफानगर | २४ |
निज़ामपट्नम | १ |
राजमुंदरी | २४ |
सिकाकुल | १ |
- ↑ Richards, J. F. (1975b). "The Hyderabad Karnatik, 1687-1707". Modern Asian Studies. 9 (2): 241. JSTOR 311962. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0026-749X. डीओआइ:10.1017/S0026749X00004996.