हीरा मंडी
लाहौर में हीरा मंडी शहर के ऐसे इलाक़े को कहते हैं जिसमें वैश्यागिरी की ग़रज़ से क़हबा ख़ाने खुले हुए हैं। ये शाही मुहल्ला के नाम से भी मशहूर है। पश्चिमी देशों में ऐसे इलाक़े को रेडलाइट डिस्ट्रिक्ट यानी लाल बत्ती ज़िला कहा जाता है[1]
इतिहास
मुग़ल दौर में हीरा मंडी रक़्स और मौसीक़ी के लिए मशहूर था। ये शहर के तवाइफ़ी सक़ाफ़्त का मर्कज़ था। लोग बस्री तफ़रीह और मौसीक़ी के लिए यहाँ जाते थे। बाअज़ रवायात के मुताबिक़ यहाँ सुख हुकूमत के हिंदू डोगरा वज़ीर-ए-आज़म ध्यान सिंह के बेटे हीरा सिंह की हवेली थी। हीरा सिंह महाराजा रणजीत का मुँह बोला बेटा बना हुआ था। अपने बाप ध्यान सिंह की मौत के बाद वो वज़ीर-ए-आज़म के ओहदे पर फ़ाइज़ हुआ। इसकी हवेली और नाम की मुनासबत से लाहौर शहर का ये हिस्सा हीरा मंडी कहलाता है।
जिसम फ़रोशी का आग़ाज़
बर्तानवी राज के दौरान बर्तानवी फ़ौजियों की तफ़रीह के लिए पुरानी अनारकली बाज़ार में कोठे तैयार किए गए। इस के बाद उन्हें लाहौरी दरवाज़ा और फिर टीकसाली दरवाज़ा पर मुंतक़िल कर दिया गया। बाद अज़ीं उन्हें मौजूदा हीरा मंडी के मुक़ाम पर मुंतक़िल कर दिया गया।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ Grimes, William (July 20, 2005). "In Shadows of a City of Pleasure, Courtesans Grow Old". The New York Times. मूल से 1 नवंबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 April 2010.