हिमोढ़
हिमनद अपने साथ लाए गए अवसादों को अपने किनारों पर छोड़ता जाता है, जिसे हिमोढ़ कहा जाता है। हिमानी की निक्षेपात्मक स्थलरुपों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण होते हैं। हिमोढ़, हिमनद टिल (Till) या गोलाश्मी मृत्तिका के जमाव की लंबी कटकें हैं। अंतस्थ हिमोढ़ (Terminal moraines) हिमनद के अंतिम भाग में मलबे के निक्षेप से बनी लंबी कटकें हैं। पार्श्विक हिमोढ़ (Lateral moraines) हिमनद घाटी की दीवार के समानांतर निर्मित होते हैं। पार्श्विक हिमोढ़ अंतस्थ हिमोढ़ से मिलकर घोड़े की नाल या अर्धचंद्राकार कटक का निर्माण करते हैं। हिमनद घाटी के दोनों ओर अत्यधिक मात्रा में पार्श्विक हिमोढ़ पाए जाते हैं। इस हिमोढ़ की उत्पत्ति पूर्णतया आंशिक रूप से हिमानी-जल द्वारा होती है; जो इस जलोढ़ को हिमनद के किनारों पर धकेलती है। कुछ घाटी हिमनद तेजी से पिघलने पर घाटी तल पर हिमनद टिल को एक परत के रूप में व्यवस्थित रूप से छोड़ देते हैं। ऐसे व्यवस्थित व भिन्न मोटाई के निक्षेप तलीय या तलस्थ (Ground) हिमोढ़ कहलाते हैं। घाटी के मध्य में पार्श्विक हिमोढ़ के साथ-साथ हिमोढ़ मिलते हैं जिन्हें मध्यस्थ (Medial) हिमोढ़ कहते हैं। ये पार्श्विक हिमोढ़ की अपेक्षा कम स्पष्ट होते हैं। कभी-कभी मध्यस्थ हिमोढ़ व तलस्थ के अंतर को पहचानना कठिन होता है।