हिब्रू भाषा
इब्रानी | ||
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עברית | ||
बोली जाती है | इस्राईल | |
क्षेत्र | इस्राईल की भूमि | |
कुल बोलने वाले | ७० लाख (इस्राईल में) २ लाख (अमेरिका में) | |
भाषा परिवार | *सामी-हामी भाषा-परिवार | |
लेखन प्रणाली | इब्रानी लिपि | |
आधिकारिक स्तर | ||
आधिकारिक भाषा घोषित | इस्राइल | |
नियामक | इब्रानी भाषा अकादमी | |
भाषा कूट | ||
ISO 639-1 | he | |
ISO 639-2 | heb | |
ISO 639-3 | – | |
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इब्रानी (इब्रानी: עִבְרִית, इ'ब़्रीत) सामी-हामी भाषा-परिवार की सामी शाखा में आने वाली एक भाषा है। यह इस्राइल की मुख्य और राष्ट्रभाषा है। इसका पुरातन रूप तौराती इब्रानी यहूदी धर्म की धर्मभाषा है और तौरात, भविष्यद्वक्ताओं का लेखन, इसी में लिखा गया था। यह इब्रानी लिपि में लिखी जाती है यह दाएँ से बाएँ पढ़ी और लिखी जाती है। पश्चिम के विश्वविद्यालयों में आजकल इब्रानी का अध्ययन अपेक्षाकृत लोकप्रिय है।
प्रथम महायुद्ध के बाद फ़िलिस्तीन (यहूदियों का इज़रायल नामक नया राज्य) की राजभाषा आधुनिक इब्रानी है। सन् 1918 में यरूशलम का इब्रानी विश्वविद्यालय स्थापित हुआ जिसके सभी विभागों में इब्रानी ही शिक्षा का माध्यम है। इज़रायल राज्य में कई दैनिक पत्र भी इब्रानी में निकलते हैं।
हिब्रू को अन्तरराष्ट्रीय स्तर के भाषा वैज्ञानिकों ने भाषाओं की मृत सूची में डाल दिया था। 1948 में जब इस्राइल स्वतन्त्र हुआ तो उसने तुर्की की तरह ही अपनी भाषा इब्रानी में शिक्षा और शासन–प्रशासन से जुड़ी गतिविधियों को कार्यान्वित करने का निर्णय लिया। आज यहाँ सभी शैक्षिक, प्रशासनिक, वैज्ञानिक और तकनीकी उपलब्धियों के लक्ष्य इब्रानी में गरिमा के साथ प्राप्त कर लिए हैं। यहाँ विज्ञान और तकनीक से जुड़े श्रेष्ठतम आविष्कारों की शब्दावली इब्रानी में है।
परिचय
हिब्रू भाषा सामी परिवार ((सेमेटिक फेमिली) की भाषाओं में से एक है। यह यहूददियों की प्राचीन सांस्कृतिक भाषा है। इसी में उनका धर्मग्रंथ (बाइबिल का पूर्वार्ध) लिखा हुआ है; अत: इब्रानी का ज्ञान मुख्यतया बाइबिल पर निर्भर है।
व्युत्पत्ति की दृष्टि से 'सामी' शब्द नौह के पुत्र सेम से संबंध रखता है। सामी भाषाओं की पूर्वी उपशाखा का क्षेत्र मेसोपोटेमिया था। वहाँ पहले सुमेरियन भाषा बोली जाती थी; फलस्वरूप सुमेर की भाषा ने पूर्वी सामी भाषाओं को बहुत कुछ प्रभावित किया है। प्राचीनतम सामी भाषा अक्कादीय की दो उपशाखाएँ हैं, अर्थात् असूरी और बाबुली। सामी परिवार की दक्षिणी उपशाखा में अरबी, हब्शी (इथोपियाई) तथा साबा की भाषाएँ प्रधान हैं। सामी वर्ग की पश्चिमी उपशाखा की मुख्य भाषाएँ इस प्रकार हैं: उगारितीय, कनानीय, आरमीय और इब्रानी। इनमें से उगारितीय भाषा (१५०० ई. पू.) सबसे प्राचीन है; इसका तथा कनानीय भाषा का गहरा संबंध है।
जब यहूदी लोग पहले पहल कनान देश में आकर बसने लगे तब वे कनानीय से मिलती जुलती एक आरमीय उपभाषा बोलते थे; उससे उनकी अपनी इब्रानी भाषा का विकास हुआ है। ऐसा प्रतीत होता है कि 'इब्रानी' शब्द हपिरू से निकला है; हपिरू (शब्दार्थ 'विदेशी') उत्तरी अरबी मरुभूमि की एक यायावर जाति थी, जिसके साथ यहूदियों का संबंध माना जाता था। बाबीलोन के निर्वासन के बाद (५३९ ई. पू.) यहूदी लोग दैनिक जीवन में इब्रानी छोड़कर आरमीय भाषा बोलने लगे। इस भाषा की कई बोलियाँ प्रचलित थीं। ईसा भी आरमीय भाषा बोलते थे, किंतु इस मूल भाषा के बहुत कम शब्द सुरक्षित रह सके।
अन्य सामी भाषाओं की तरह हिब्रू की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं। धातुएँ प्राय: त्रिव्यंजनात्मक होती हैं। धातुओं में स्वर होते ही नहीं और साधारण शब्दों के स्वर भी प्राय: नहीं लिखे जाते। प्रत्यय और उपसर्ग द्वारा पुरुष तथा वचन का बोध कराया जाता है। क्रियाओं के रूपांतर अपेक्षाकृत कम हैं। साधारण अर्थ में काल नहीं होते, केवल वाच्य होते हैं। वाक्यविन्यास अत्यंत सरल है, वाक्यांश प्राय: 'और' शब्द से सहारे जोड़े जाते हैं। इब्रानी में अर्थ के सूक्ष्म भेद व्यक्त करना दु:साध्य है। वास्तव में इब्रानी भाषा दार्शनिक विवेचना की अपेक्षा कथासाहित्य तथा काव्य के लिए कहीं अधिक उपर्युक्त है।
प्रथम शताब्दी ई. में यहूदी शास्त्रियों ने इब्रानी भाषा को लिपिबद्ध करने की एक नई प्रणाली चलाई जिसके द्वारा बोलचाल में शताब्दियों से अप्रयुक्त इब्रानी भाषा का स्वरूप तथा उसका उच्चारण भी निश्चित किया गया। आठवीं-दसवीं सदी में उन्होंने समस्त इब्रानी बाइबिल का इसी प्रणाली के अनुसार संपादन किया है। यह मसोरा का परंपरागत पाठ बतलाया जाता है और पिछली दस शताब्दियों से इब्रानी बाइबिल का यह सबसे प्रचलित पाठ है। इसका सर्वाधिक प्रसिद्ध संस्करण बेन ह्यीम का है जो १५२४ ई. में वेनिस में प्रकाशित हुआ था। सन् १९४७ ई. में फिलिस्तीन के कुमराम नामक स्थान पर इब्रानी बाइबिल तथा अन्य साहित्य की अत्यंत प्राचीन हस्तलिपियाँ मिल गईं। इनका लिपिकाल प्राय: दूसरी शताब्दी ई.पू. माना जाता है। विद्वानों को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि बाइबिल की ये प्राचीन पोथियाँ मसोरा के पाठ से अधिक भिन्न नहीं हैं।
मध्यकाल में एक विशेष इब्रानी बोली की उत्पत्ति हुई थी जिसे जर्मनी के वे यहूदी बोलते थे जो पोलैंड और रूस में जाकर बस गए थे। इस बोली को 'यहूदी जर्मन' अथवा 'यिद्दिश' कहकर पुकारा जाता है। वास्तव में यह एक जर्मन बोली है जो इब्रानी लिपि में लिखी जाती है ओर जिसमें बहुत से आरमीय, पोलिश तथा रूसी शब्द भी सम्मिलित हैं। इसका व्याकरण अस्थिर है, किंतु इसका साहित्य समृद्ध है।
लिपि
हिब्रू भाषा, इब्रानी लिपि में लिखी जाती है जो दाएँ से बाएँ लिखी–पढ़ी जाती है।
तस्वीरें
- दाउद के तारे के संदर्भ से समझाया गया इब्रानी वर्णमाला
- इस्राइल में सड़क के संकेत - इब्रानी, अरबी और अंग्रेज़ी पाठ के साथ
इन्हें भी देखें
- थियोडोर हर्ज्ल
- गिलाड ज़ुकरमैन (Ghil'ad Zuckermann) 2003. Language Contact and Lexical Enrichment in Israeli Hebrew, Palgrave Macmillan. ISBN 9781403917232 / ISBN 9781403938695
- गगिलाड ज़ुकरमैन (Ghil'ad Zuckermann) 2020. Revivalistics: From the Genesis of Israeli to Language Reclamation in Australia and Beyond, Oxford University Press. ISBN 9780199812790 / ISBN 9780199812776
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
- इजराइल में हीब्रू - संकल्प का बल (डॉ॰ रवीन्द्र अग्निहोत्री)