सोया दूध
सोया दूध | |||||||||||||||
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चीनी नाम | |||||||||||||||
चीनी: | 1. 豆漿(T)/豆浆(S) 2. 豆奶 3. 豆花水 4. 豆腐漿(T)/豆腐浆(S) | ||||||||||||||
शाब्दिक अर्थ: | 1. bean thick liquid 2. bean milk 3. bean flower water 4. bean thick liquid | ||||||||||||||
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जापानी नाम | |||||||||||||||
Kanji: | 豆乳 | ||||||||||||||
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कोरियाई नाम | |||||||||||||||
हांगुल: | 두유 | ||||||||||||||
Hanja: | 豆乳 |
सोया दूध (सोया दूध, सोयादूध, सोयाबीन दूध या सोया रस भी कहा जाता है और कभी कभी सोया शरबत/पेय के रूप में निर्दिष्ट होता है), यह सोयाबीन से बना एक पेय है। ये तेल, पानी और प्रोटीन का एक स्थिर पायस है, जो सूखे सोयाबीन को भिगो कर पानी के साथ पीस कर बनाया जाता है। सोया दूध में लगभग उसी अनुपात में प्रोटीन होता है जैसा कि गाय के दूध में: लगभग 3.5%, साथ ही 2% वसा, 2.9% कार्बोहाइड्रेट और 0.5% राख. सोया दूध घर पर ही पारंपरिक रसोई के उपकरणों या सोया दूध मशीनसे बनाया जा सकता है।
सोया दूध के जमे हुए प्रोटीन से टोफू बनाया जा सकता है, जैसे डेयरी दूध से पनीर बनाया जा सकता है।
उत्पत्ति
सोया दूध उत्पादन का प्राचीनतम प्रमाण चीन में 25-220 ई. के आसपास मिलता है, जहां एक रसोईघर के दृश्य में दूध सोया का उपयोग एक पत्थर की पटिया पर उत्कीर्ण है।[1] ये ई.82 की वांग चोंग की पुस्तक लुन्हेंग के फोर टैबू नाम के अध्याय में भी दिखता है, ये संभवतः सोया दूध का पहला लिखित रिकॉर्ड है। सोया दूध के साक्ष्य की संभावना 20 वीं सदी के पहले दुर्लभ है और इससे पहले इसका व्यापक उपयोग असंभव है।[1]
चीन में लोकप्रिय परंपरा के अनुसार, सोया दूध औषधीय प्रयोजनों के लिए लियू एन द्वारा विकसित किया गया था, यद्यपि इस कथा के ऐतिहासिक सबूत नहीं है।[1] ये कथा पहली बार 12 वीं सदी में शुरू हुई थी, 15 वीं सदी के अंत तक स्पष्ट रूप से उल्लेख में नहीं आयी थी, जब बेन्काओ गंगमू में सोया दूध के उल्लेख के बिना ली को टोफू के विकास का श्रेय दिया। बाद में एशिया और पश्चिम में लेखकों ने भी लियू एन को सोया दूध के विकास के जिम्मेदार बताया, यह मानते हुए कि वह सोया दूध बनाये बिना टोफू नहीं बना सकता था। हालांकि, यह भी संभावना है कि लेखकों द्वारा लियू को टोफू के विकास के लिए गलत तरीके से जिम्मेदार बताया गया हो। हालांकि, हाल ही में कुछ लेखकों ने लियू एन को 164 ई.पू. में टोफू विकसित करने में जिम्मेदार बताया है।[2]
सांस्कृतिक शब्द
सोया दूध के लिए सबसे आम चीनी शब्द "豆漿"(पिनयिन:दोउ जियांग ;अर्थात बीन +गाढा द्रव) व "豆奶"(पिनयिन: दोउ नाइ ;अर्थात बीन +दूध) हैं।
सोया दूध के लिए जापानी शब्द टोन्यू (豆乳) है।
कोरिया में सोया दूध शब्द का प्रतिनिधित्व करने के लिए," 두유 (豆乳)" है। "두" और "유" क्रमशः सोया और दूध का प्रतिनिधित्व करते हैं।
सिंगापुर में, यह स्थानीय होक्कियन बोली में ताऊ-हुएय-त्जुई (豆花水, पीओजे: ताऊ होए चूई) के नाम से जाना है जबकि मलेशिया में यह स्थानीय मलय भाषा में "सुसु सोया" या "सुसु ताऊहू" के नाम से जाना जाता है।
प्रचलन
सादा सोया दूध मीठा नहीं होता है, हालांकि कुछ सोया दूध उत्पाद मीठा बनाया जाता है। नमकीन सोया दूध चीन में प्रचलित है।[3]
मलेशिया की फेरीवाला संस्कृति में यह पेय बहुत लोकप्रिय है। चीनी मलेशिया स्टालों में, भोजन के साथ यह एक मानक पेशकश है। मलेशिया में सोयाबीन दूध आमतौर पर या तो सफेद या भूरे चीनी सिरप के साथ स्वादयुक्त किया जाता है। उपभोक्ता को घास जेली जिसे लेओंग फेन या सिंकाऊ (मलय भाषा में) कहते हैं, पेय में मिलवाने का भी विकल्प होता है। पेनांग में सोयाबीन दूध के विक्रेता बीन दही, भी पेश करते हैं, जो एक कस्टर्ड जैसा मिष्ठान्न है, जिसे स्थानीय लोग ताऊ हुआ के नाम से जानते है और जिसे सोयाबीन दूध की तरह सिरप से स्वादयुक्त किया जाता है। इन्डोनेशियाई में इसे "सुसु केडेले" के नाम से जाना जाता है। सिंगापुर और मलेशिया में यीओ, नाम का एक पेय निर्माता सोयाबीन दूध के व्यावसायिक टिन व डिब्बा बंद संस्करण की बिक्री करता है।[4]
भारत में भी ये पेय धीरे धीरे लोकप्रिय होता जा रहा है। सोया मूलतः 1935 में महात्मा गांधी द्वारा व्यवहार में लाया गया था। आजकल, यह व्यापक रूप से टेट्रापैक में विभिन्न ब्रांडों जैसे स्टेटा के द्वारा बेचा जा रहा है।
पश्चिम में, सोया दूध, लगभग सामान प्रोटीन व वसा की उपस्थिति के कारण, गाय के दूध का लोकप्रिय विकल्प बन गया है।[5] सोया दूध आमतौर पर वेनिला और चॉकलेट के स्वाद में व साथ ही साथ मूल स्वाद में भी उपलब्ध है। कुछ पश्चिमी देशों में जहाँ शाकाहारिता ने पैठ में बना ली है, ये कैफे तथा कॉफी फ्रेंचाइजी पर गाय के दूध के स्थानापन्न के रूप में अनुरोध पर उपलब्ध होता है।
स्वास्थ्य
स्वास्थ्य के लाभ
सोया दूध में गाय के दूध की मात्रा जितना ही प्रोटीन होता है (हालांकि अमीनो अम्ल प्रोफाइल एक जैसा नहीं होता). प्राकृतिक सोया दूध में थोड़ा सुपाच्य कैल्शियम होता है, जो बीन के गूदे के कारण स्वाभाविक है, जो कि मनुष्यों में अघुलनशील है। इसके प्रतिकार के लिए कई निर्माता अपने उत्पाद को मनुष्य के लिए सुपाचक कल्शियम कार्बोनेट से समृद्ध करते हैं। दूध गाय के विपरीत इसमें बहुत कम संतृप्त वसाहै और कोलेस्ट्रॉल नहीं है। सोया उत्पादों में सुक्रोस, मूल डाईसेक्राइड की तरह होते हैं, जो ग्लूकोस और फ्र्कटोस में विभक्त हो जाते हैं। क्योंकि सोया में ग्लैक्टोस, जो लैक्टोज के टूटने से बनता है, नहीं होता है, अतः सोया आधारित शिशु फार्मूले, ग्लाक्टोसीमिया से पीड़ित बच्चों के लिए माँ के दूध का सुरक्षित विकल्प हो सकते हैं।
सोया दूध गाय के दूध के लिए एक स्वस्थ विकल्प के रूप में निम्न कारणों से प्रोत्साहित किया जा सकता हैं:
- लेसिथिनऔर विटामिन ई का स्रोत
- कैसीन की कमी
- यह लैक्टोस असहिष्णुता या दूध से एलर्जी वाले लोगों के लिए सुरक्षित है
- गाय के दूध से बहुत कम संतृप्त वसा होता है।
- इसमें आइसोफेवंस नाम के कार्बनिक रसायन होते हैं, जो संभवतः स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकते हैं।
हालांकि यह सुझाव दिया गया है कि सोया का सेवन कम घनत्व वाले लेपोप्रोटीन ("हानिकारक कोलेस्ट्रॉल") और ट्राईग्लिसराईड[6] में कमी के साथ जुड़ा है, एक दसक से किये जा रहे सोया प्रोटीन सेवन के अध्ययन में 2006 को पता चला कि स्वास्थ्य लाभ (कैंसर या ह्रदय वाहनियों संबंधी स्वास्थ्य दर जैसे) और सोया के सेवन के बीच कोई सम्बन्ध नहीं है और, न ही इससे रजोनिवृत्ति के दौर से गुजर रही महिलाओं को कोई लाभ मिलता है। सोया से होने वाले लाभ इसके द्वारा जानवरों से मिलने वाले प्रोटीन, उच्च संतृप्त वसा वाले खाद्य पदार्थों को हटाने तथा आहार फाइबर, विटामिनों और खनिजों को देने की इसकी क्षमता से सम्बंधित है।[7]
हालांकि यह सुझाव दिया गया है कि सोया शुक्राणु की गुणवत्ता और हड्डी खनिजों के घनत्व प्रभावित कर सकता है, इन संबंधों के समर्थन के लिए पर्याप्त शोध उपलब्ध नहीं है।[8][9]
विधि
सोया दूध पूरी सोयाबीन या पूर्ण वसा युक्त सोया आटे से बनाया जा सकता है। सूखी फलियाँ रात भर या कम से कम 3 घंटे या अधिक, पानी के तापमान के आधार पर पानी में भिगोई जाती हैं। इन पुनर्जलित फलियों की, अंतिम उत्पाद के लिए वांछित ठोस सामग्री पाने के लिए काफ़ी सारे पानी के साथ गीली पिसाई होती है। वजन के आधार पर पानी व फलियों का अनुपात 10:1 होना चाहिए। परिणामस्वरूप प्राप्त घोल या प्यूरी को इसका पोषण मूल्य बढाने के लिए, स्वाद में सुधार करने के लिए और निष्कीटित करने के लिए ताप निष्क्रिय सोया ट्राईस्पिन अवरोधक के द्वारा उबाला जाता है। उबाल बिंदु पर या उसके आसपास गर्म करने की ये प्रक्रिया 15 से 20 मिनट तक चलती है, जिसके बाद एक छानने की प्रक्रिया के द्वारा अघुलनशील तलछट (सोया गूदा रेशे या ओकारा) हटाया जाता है।
पारंपरिक चीनी और जापानी सोया दूध निर्माण प्रक्रिया में एक साधारण लेकिन गहरा अंतर है:चीनी विधि में ठंडे छनन के बाद छनित्र (सोया दूध) को उबालते हैं, जबकि जापानी विधि में पहले स्लरी को उबालते हैं, फिर उसका गर्म छनन करते हैं। बाद की विधि में सोया दूध की प्राप्त मात्रा अधिक होती है, लेकिन उबालते समय इसमें झाग रोधी एजेंट या प्राकृतिक झागनाशक की जरुरत पड़ती है। छने हुए सोया दूध को उबाल बिंदु तक लाना झाग की समस्या का समाधान है। यह आमतौर पर अपारदर्शी, सफेद या धुंधला सफेद होता है और इसमें लगभग गाय के दूध के जितना गाढापन होता है।
सभी कच्चे सोयाबीन प्रोटीन उत्पादों के लिए, सोयाबीन में स्वाभाविक रूप से मौजूद प्रोटीस अवरोधकों की गतिविधि को नष्ट करने के लिए गर्मी आवश्यक है। अग्न्याशय प्रोटीन भोजन को पचाने हेतु स्वाभाविक रूप से प्रोटीस स्रावित करता है। नियमित रूप से कच्चे सोयाबीन को खाने से अग्न्याशय से अधिक स्राव होता है, जिस कारण अग्न्याशय के सौम्य ट्यूमर की शरुआत हो सकती है।
जब सोयाबीन पानी को अवशोषित करता है, तो अंतर्जात एंजाइम, लिप्रोक्स्यीजेनेस (एलओएक्स), ईसी 1.13.11.12 लिनोलिएट: ओक्सी डोरेडुकटेस, पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड और ऑक्सीजन(हाइड्रोपैराक्सीडेशन) के बीच एक प्रतिक्रिया उत्प्रेरित करता है। एलओएक्स मुक्त कणों के निर्माण को प्रारम्भ करते हैं, जो इसके बाद दूसरे कोशिका घटकों पर हमले कर सकते हैं। सोयाबीन के बीज एलओएक्स के सबसे प्रचुर ज्ञात स्रोत हैं। यह कवक आक्रमण के खिलाफ सोयाबीन का एक रक्षात्मक तंत्र माना जाता है।
1967 में, कॉर्नेल विश्वविद्यालय और जेनेवा में न्यूयॉर्क राज्य कृषि प्रयोग स्टेशन, न्यूयॉर्क के प्रयोगों से एक खोज हुई जिसके अनुसार, छिली बीन्स को 80°सेल्सियस के ऊपर रैपिड हाईड्रेशन पिसाई प्रक्रिया से पिसाई करके पेंट जैसे, पारंपरिक सोया दूध से थोड़े अलग स्वाद को, बनने से रोका जा सकता है। ये त्वरित नमी गर्मी वाला उपचार, एलओएक्स एंजाइम को स्वाद पर महत्वपूर्ण नकारात्मक प्रभाव शुरू करने के पहले ही, निष्क्रिय कर देता है। सभी आधुनिक बिना स्वाद वाले सोया दूधों में इसी प्रकार गर्मी के द्वारा एलओएक्स को समाप्त किया जाता है।
सामान्य परिपक्व सोयाबीन में वास्तव में अवांछनीय स्वाद विकास के लिए महत्वपूर्ण तीन एलओएक्स आईसोज़ाइम (एसबीएल-1, एसबीएल-2 और एसबीएल-3) शामिल होते हैं। हाल ही में (1998) इनमें से एक या अधिक आईसोज़ाइम आनुवांशिक रूप सोयाबीन से हटा दिया गया है जिससे सोया दूध में कम पके बीन जैसी महक और कसैलेपन वाले स्वाद में कमी आ गयी है। ट्रिपल एलओएक्स (LOX)-मुक्त सोयाबीन का एक उदाहरण "लौरा" नाम का अमेरिकी सोयाबीन है।
इलिनोइस विश्वविद्यालय ने एक सोया दूध विकसित किया है जो कि पूरे सोयाबीन का उपयोग करता है। जो सामान्य रूप से अघुलनशीलों को बनाते हैं वो होमोजेनाइज़ेशन के द्वारा बेहद महीन हो कर स्थायी निलंबित घोल में परिवर्तित हो जाते हैं।
पश्चिम में जहां शब्द "दूध" कानूनन केवल गाय के दूध के लिए ही उपलब्ध है वहाँ वाणिज्यिक उत्पाद सामान्यतः "सोया दूध" का लेबल लगा कर बेचे जा रहे हैं। उदाहरण के लिए ऑस्ट्रेलिया कनाडा, यूरोप.[10] ये विचार कि "सोया पेय" एक कम गुणवत्ता वाला पतला सोया दूध होगा, गलत है, किसी भी सोया पेय के घटकों पर त्वरित निगाह इस शहरी कहावत को गलत साबित करने के लिए काफी है।
भोजन बनाना
सोया दूध कई शाकाहार व शाकाहारी भोजन उत्पादो में मिलता है और कई व्यंजनों में गाय के दूध की जगह प्रयोग किया जा सकता है।
"मीठा" और "नमकीन" दोनों सोया दूध पारंपरिक चीनी, नाश्ते का खाद्य पदार्थ हैं, जो ब्रेड जैसे मन्तौ (उबले रोल),यौतियाओ (डीप फ्राई आटा) और शाओबिंग (तिल वाले चपटे ब्रेड) के साथ या तो गर्म या ठन्डे परोसे जाते है। सोया दूध आम तौर पर गन्ने की चीनी या साधारण सिरप मिला कर मीठा किया जाता है। "नमकीन" सोया दूध सरसों के कटे हुए साग, सूखे झींगे का मसालेदार संयोजन है और दही जमाने के लिए, सिरका, यौतिओं क्रौतन से सजा कर, कटी प्याज (हरी प्याज), सिलान्त्रो(धनिया), मीट के रेशे (肉鬆; रोऊ सोंग), छोटा प्याज और साथ में तिल का तेल, सोया सास, मिर्च का तेल और नमक स्वादानुसार लिया जाता है।
सोया दूध कई प्रकार के जापानी भोजन में प्रयोग किया जाता है, जैसे कि युबा बनाने के लिए साथ ही साथ नाबेमोनो के आधार सूप को बनाने के लिए।
कोरियाई व्यंजनों में, सोया दूध कोंग्गुक्सू बनाने में सूप की तरह प्रयोग किया जाता है, ये ठंडा नूडल सूप है जो अधिकतर गर्मियों में खाय टोफू सोया दूध से दही बनाने की विधि से और फिर निर्जलन के द्वारा बनाया जाता है।
सोया दूध को सोया दही, सोया क्रीम, सोया केफिर और सोया आधारित पनीर अनुरूप बनाने में प्रयोग किया जाता है।
पोषण और स्वास्थ्य संबंधी जानकारी
साधारण सोया दूध के 8 औंस (250 एमएल) में पोषक तत्व:[11]
सामान्य सोया दूध | लाइट सोया दूध (कम वसा) | गाय का सम्पूर्ण दूध | वसा रहित गाय का दूध | |
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कैलोरी (ग्राम) | 140 | 100 | 149 | 83 |
प्रोटीन (ग्राम) | 10.0 | 4.0 | 7.7 | 8.3 |
वसा (ग्राम) | 4.0 | 2.0 | 8.0 | 0.2 |
कार्बोहाइड्रेट (ग्राम) | 14.0 | 16.0 | 11.7 | 12.2 |
लैक्टोज (ग्राम) | 0.0 | 0.0 | 11.0 | 12.5 |
सोडियम (मिलीग्राम) | 120 | 100 | 105 | 103 |
आयरन (मिलीग्राम) | 1.8 | 0.6 | 0.07 | 0.07 |
रिबोफ्लाविन (मिलीग्राम) | 0.1 | 11.0 | 0.412 | 0.446 |
कैल्शियम (मिलीग्राम) | 80.0 | 80.0 | 276 | 299 |
पारिस्थितिक प्रभाव
पारिस्थितिकी के लिहाज से सोयाबीन का दूध बनाने के लिए उपयोग करना गायों को पालने से अधिक लाभप्रद है। क्योंकि समान आकार की ज़मीन पर गायों को पालने की तुलना में सोया उत्पादन के द्वारा अधिक लोगों को पोषित किया जा सकता है।[12] कार्बनिक मांस के मामले में, यह समर्थित तर्क है, क्योंकि पशुओं के लिए चारागाह की ज़मीन पर कीटनाशकों की आवश्यकता खेती करने के लिए प्रयुक्त मात्रा से कम होती है। हालांकि, दुनिया भर में कुल खाद्य बिक्री के 1 से 2% से कम कार्बनिक भोजन की बिक्री के साथ, यह तुलना वर्तमान में नगण्य है। इसके अलावा, गायों को दूध का उत्पादन करने के लिए ऊर्जा की बहुत अधिक आवश्यकता होती है, क्योंकि किसान को जानवर को पोषण देना ही होगा, जिसके लिया एक दिन में 40 किलोग्राम (90 पाउंड) भोजन और 90-180 लीटर (25-50 गैलन) पानी चाहिए,[13] जबकि सोयाबीन को केवल खाद, पानी और भूमि की जरूरत है।[] क्योंकि सोयाबीन एक फलीदार पौधा है, यह अपनी मिटटी के नाइट्रोजन की भरपाई कर देता है।
ब्राजील में, सोयाबीन की खेती की विस्फोटक परिस्थिति ने जंगल के बड़े हिस्से को ख़त्म कर दिया है, जिससे पारिस्थितिकी की क्षति हुई है।[14] हालांकि, इन साफ़ किये गए जंगलों में सोयाबीन की खेती पशु कृषि उद्यमों (विशेषकर गोमांस तथा सूअर उत्पादन) के लिए की गयी है न कि मनुष्यों की खपत के लिए। [15]
अमेरिकी मृदा वैज्ञानिक डॉ॰ एंड्रयू मैकक्लंग ने जिन्होंने पहली बार ब्राजील के केर्राड़ो क्षेत्र में सोयाबीन उत्पादन की विधि का विकास किया था। उन्हें 2006 के विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।[16]
इन्हें भी देखें
नोट्स
- ↑ अ आ इ "हिस्ट्री ऑफ़ सोयामिल्क एंड डेरी-लाइक सोयामिल्क प्रोडक्ट्स". मूल से 2 जून 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 नवंबर 2010.
- ↑ "हिस्ट्री ऑफ़ टोफू". मूल से 23 जून 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 नवंबर 2010.
- ↑ नमकीन सोया दूध और यौतियो बनाने की चीनी [1] Archived 2010-08-12 at the वेबैक मशीन विधि, 100 सबसे आम तौर पर घर में पकाए जाने वाले व्यंजन
- ↑ सोया बीन मिल्क Archived 2011-07-24 at the वेबैक मशीन यीओ की वेबसाइट पर. 2008/10/08 में लिया गया.
- ↑ मैकगी, हेरोल्ड. p.494 ऑन फ़ूड एंड कूकिंग, स्क्रिब्नेर, 2004, आईएसबीएन (ISBN) 0-684-80001-2,
- ↑ PMID 7596371 (PubMed)
Citation will be completed automatically in a few minutes. Jump the queue or expand by hand - ↑ PMID 16418439 (PubMed)
Citation will be completed automatically in a few minutes. Jump the queue or expand by hand - ↑ PMID 20378106 (PubMed)
Citation will be completed automatically in a few minutes. Jump the queue or expand by hand - ↑ PMID 19889822 (PubMed)
Citation will be completed automatically in a few minutes. Jump the queue or expand by hand - ↑ यूरोप में, विधान सोया दूध निर्माताओं को अपने उत्पाद के ऊपर दूध सोया का लेबल लगा कर बेचने को आवश्यक करता है। Archived 2011-01-05 at the वेबैक मशीनवे अक्सर सोया पेय नामकरण का उपयोग करते हैं। Archived 2011-01-05 at the वेबैक मशीन
- ↑ Soymilk on soyfoods.com; Archived 2011-07-16 at the वेबैक मशीन यूएसडीए न्यूट्रीएंट डाटाबेस Archived 2015-03-03 at the वेबैक मशीन से गाय के दूध के आंकड़े. यूएसडीए का सोयादूध का आंकडा भिन्न है; जाहिरा तौर पर सोया आंकड़े मीठे किये गए हैं।
- ↑ "एलईएडी डिजिटल लाइब्रेरी:लाइवस्टॉक्स लॉन्ग शैडो- इन्वायरमेंट इश्यूस एंड ऑप्शंस". मूल से 6 अगस्त 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 नवंबर 2010.
- ↑ http://www.southwestdairyfarmers.com/get_file.sstg?id=4[मृत कड़ियाँ]
- ↑ "Soy Expansion – Losing Forests to Fields" (PDF). मूल से 12 नवंबर 2005 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 30 नवंबर 2010.
- ↑ Vidal, John (2006-04-06). 1747904,00.html "The 7,000km journey that links Amazon destruction to fast food" जाँचें
|url=
मान (मदद). द गार्डियन. London. अभिगमन तिथि 2010-05-23. - ↑ "Cornell alumnus Andrew Colin McClung reaps 2006 World Food Prize". मूल से 16 नवंबर 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 नवंबर 2010.
सन्दर्भ
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बाहरी कड़ियाँ
- कार्नेल यूनीवर्सिटी फ़ूड एंड ब्रांड लैब
- सोया एलर्जी इन्फोर्मेशन पेज Archived 2015-09-22 at the वेबैक मशीन अस्थमा एंड एलर्जी फाउंडेशन ऑफ अमेरिका