सैयद सालार साहू गाजी
सैयद सालार साहू गाजी या सालार साहू (फारसी: غازى سيد سالار ساھو) सुल्तान महमूद ग़ज़नवी की सेना में सेनापति थे जो 11वीं शताब्दी की शुरुआत में दक्षिण एशिया आए थे।
सालार साहू अली के पुत्र मुहम्मद इब्न अल-हानाफियाह के वंशज थे। उनके पिता का नाम ताहिर अताउल्ला था और मान्यता के तौर पर वह सेनापति सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी के पिता थे। वह सुल्तान महमूद गज़नवी के बहनोई थे और उन्होंने कथित तौर पर उनकी बहन सुत्र -ए-मुअल्ला से शादी कर ली थी। वह सुल्तान महमूद गज़नवी के साथ सेना के सेनापति के रूप में भारत आए।
वह लगभग 1000 साल पहले सतरीख मैं दुनिया वालों की आंखों से पर्दा कर गए तथा इनका मकबरा सतरिख में ही बना दिया गया! हजरत सैयद सालार साहू गाजी की मजार कस्बा सतरिख मोहल्ला काजी याना जिला बाराबंकी उत्तर प्रदेश में स्थित है पिछले कुछ वर्षों से इस मज़ार की देखभाल के लिए एक कमेटी बनाई गई जिसमें चौधरी कलीमुद्दीन उस्मानी सचिव के रूप में तथा मेला प्रभारी स्वर्गीय जाबिर अली अंसारी काम करते थे इनके स्वर्गवास के बाद मेला प्रभारी के पद पर सरफराज अहमद खान को नियुक्त किया गया तथा कार्यक्रम संयोजक के रूप में शेख असद तथा अनेक पदाधिकारी कार्य करते हैं!
गाजी पासी महाराजा सुहेलदेव पासी के हाथो मारा गया था!
इनका ईतिहासिक कोई साक्ष्य नहीं है कि ये महमूद गजनवी के बहनोई थे /ग़ाज़ी मियां के पिता थे l इतिहास में कुछ लोगों द्वारा जबरदस्ती इनको इनको यहाँ/वहाँ का बताकर जोड़ा गया है l इनका और गाज़ी मियां और उनसे संबंधित सभी सदस्य केवल और केवल मुगल शासक के दरबारी शेख अब्दुल रहमान चिश्ती की पुस्तक मिराते ए मसूदी में मिलते हैं जोकि एक काल्पनिक पुस्तक है l
सैयद सालार साहू का मकबरा
सालार साहू का मकबरा सतरीख में स्थित है, जो उत्तर प्रदेश में बाराबंकी से 8 किलोमीटर (5.0 मील) दूर है। गर्मी के दौरान हिंदू महीने ज्येष्ठ के पूर्णिमा के दौरान लोग उनकी कब्र पर तीर्थयात्रा में इकट्ठे होते हैं। पाँच दिन लंबे उर्स के दौरान हजारों भक्त प्रार्थना करते हैं। उनका मकबरा "बूढ़े बाबा की मजार" के रूप में जाना जाता है।[1][2][3]
सन्दर्भ
- ↑ "बूढ़े बाबा का पांच दिवसीय वार्षिक उर्स 17 से". दैनिक जागरण. 11 मई 2017. मूल से 3 जुलाई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2 जुलाई 2018.
- ↑ "दरगाह पर उमड़ रहा श्रद्धालुओं का सैलाब". दैनिक जागरण. 29 मई 2016. मूल से 3 जुलाई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2 जुलाई 2018.
- ↑ "बूढ़े बाबा की मजार पर उमड़े जायरीन, मेला आज से". दैनिक जागरण. 8 मई 2012. मूल से 3 जुलाई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2 जुलाई 2018.