सेतकेतु जातक
'सेतकेतु(श्वेतकेतु) जातक' है जो जातक कथा नंबर ३७७ है।
इसमें गौतम बुद्ध एक राजा के पुरोहित हैं और सेतकेतु एक दंभी,विलासप्रिय संन्यासी है। ये अपने शिष्यों के ऐशो आराम के लिये राजा के पास आता है और अपनी सिद्धई जमाने की कोशिश करता है। पर राजा का पुरोहित, जो पिछले जन्म में बुद्ध थे, उसके मत का खंडन करते हैं। सेतकेतु वेदों पर आक्षेप करता है व पुरोहित उसका खंडन करते हैं। देखिये:-
When the king heard this, he took away his favour from the ascetics. Setaketu thought: “This king took a liking to the ascetics, but this priest has destroyed it as if he had cut it हैं।
an axe: I must talk to him”: so talking to him he spoke the fifth stanza:
सेतकेतु ने सोचा, कि ये राजा हम संन्यासियों व चेलों के पक्ष में है,पर ये राजपुरोहित सारे किये कराये पर पानी फेर रहा है। तब पुरोहित से 'सेतकेतु पांचवें पद्य के रूप में कहता है:-
“A learned sage may do ill deeds, O king: A learned sage may fail to follow right” You say: then Vedas are a useless thing: Just works with self-restraint are requisite.
"हे राजन्! तुम ( राजा- पुरोहित दोनों) कहते हो कि एक ज्ञानी संत बुरे कर्म कर सकता है व अच्छे मार्ग पर चलने से नाकाम हो सकता है। यदि ऐसा है तो सारे वेद व्यर्थ की चीजें हैं।"
The priest hearing this, spoke the sixth stanza: Nay, Vedas are not useless utterly: Though works with self-restraint true doctrine is: Study of Vedas lifts man’s name on high, But ’Tis by conduct that he reaches Bliss. So the priest refuted Setaketu’s doctrine.
पुरोहित यानी बुद्ध ने उसको छठवें पद्य में जवाब दिया:- " नहीं! वेद व्यर्थ की चीज नहीं होते। वेद का पठन पाठन व्यक्ति की आत्मोन्नति करता है। केवल उनको आचरण में पालन करके ही उच्चता पाई जा सकती है।" इस तरह पुरोहित ने सेतकेतु के मत का खंडन किया।
After the lesson the Master identified the Birth: “At that time Setaketu was the cheating priest, the candala was Sariputta, and the King’s priest was myself.”
इस कथा के बाद बुद्ध कहते हैं-"सेतकेतु उस जन्म में धोखा देने वाला पुरोहित था, चांडाल सारिपुत्त था, और मैं ही उस राजा का पुरोहित था।"
सन्दर्भ
stories of the buddha’s former births book 6 chanipāta 377. Setaketu Jātaka
( बुद्ध के पिछले जन्मों की कहानियां। सेतकेतु जातक ३७७)