सुज्ञान कुमार माहान्ति
सुज्ञान कुमार माहान्ति / Sugyan Kumar Mahanty https://vidwan.inflibnet.ac.in/profile/255102 (जन्म 01 फरवरी 1968, द्वारसुणी / Dwarasuni गंजाम, ओडिशा, भारत) संस्कृत काव्यशास्त्र, नाट्यशास्त्र, तथा प्राचीन पाण्डुलिपि सम्पादन क्षेत्र में अग्रणी विद्वान हैं। संस्कृत, हिन्दी, ओडिया, अंग्रेजी आदि अनेक भाषा के साथ प्राचीन लिपि शारदा के भी जानकार हैं। हाल ही में नीतिशतक के मूल शारदा पाठ की पहली बार खोज करके, देवनागरी लिप्यन्तरण के साथ समालोचनात्मक सम्पादन किया है जो कि एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। प्रो. माहान्ति ने कवि भर्तृहरि रचित वैराग्य शतक के भी मूल शारदा पाठ की खोज कर ली है जिसका समालोचनात्मक सम्पादन शीघ्र ही प्रकाशित होने जा रहा है। हाल ही में 15 अक्तूबर 2022 को केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के कुलपति पुरस्कार योजना के अन्तर्गत मानपत्र एवं पचास हजार रुपयों के अनुदान के साथ प्रो. सुज्ञान कुमार माहान्ति को “शिक्षाश्री” सम्मान से सम्मानित किया गया है।
जीवन परिचय
सुज्ञान कुमार माहान्ति का जन्म भारत के ओडिशा राज्य के गंजाम जिले के द्वारसुणी / Dwarasuni गांव में 01 फरवरी 1968 को हुआ है। पारम्परिक संस्कृत शिक्षा प्राप्त करके सुज्ञान कुमार माहान्ति ने वाराणसी के संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में प्रो. कैलासपति त्रिपाठी जी के मार्गदर्शन में 1994 में "काव्यप्रकाश की सुधासागरटीका पर समीक्षा" विषय पर विद्यावारिधि (Ph.D.) की उपाधि प्राप्त की। सुज्ञान कुमार माहान्ति भोपाल, भारत में बसे एक शिक्षाविद्, शोधकर्ता, आलोचक, कवि और लेखक हैं। वह संस्कृत और भारतीय साहित्य के पारंपरिक विद्वान हैं। वे केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली में संयुक्त निदेशक (विश्वविद्यालय प्रकाशन) के रूप में काम करते हैं। वे संस्कृत के एक बहुमुखी विद्वान हैं, जिन्हें कई भाषाओं, यानी संस्कृत, उड़िया, हिंदी, अंग्रेजी का ज्ञान है और वे शारदा सहित कई लिपियों में कुशल हैं। उन्हें उड़ीशा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश आदि सहित भारत के विभिन्न हिस्सों में संस्कृत और काव्यशास्त्र पढ़ाने का 33 वर्षों का अनुभव है। उनकी गुरुपरंपरा में सर्वश्री रवीन्द्र राय, पण्डित पुण्डरिकाक्ष मिश्र, पण्डित भागवत प्रसाद त्रिपाठी, प्रो. कैलासपति त्रिपाठी, प्रो. सूर्यमणि रथ आदि रहे हैं।
साहित्य-सेवा
ग्रन्थ -
- भास्वती / Bhasvati (A Collection of selected papers published in the online journal, 'Prachi Prajna') HHH Publishing Pvt. Ltd. SCO 312, Second Floor, Sector 38 D, Chandigarh 160036, India से 2024 में प्रकाशित ।
- "ध्यानसिन्धु" ISBN 978-93-92600-53-1 पं. ब्रजकिशोर त्रिपाठी द्वारा रचित स्तोत्रसंग्रह का संपादन, HHH Publishing Pvt. Ltd. SCO 312, Second Floor, Sector 38 D, Chandigarh 160036, India से 2024 में प्रकाशित ।
- भर्तृहरि का नीतिशतक (काश्मीरी शारदा पाठ के साथ पहली बार प्रकाशित। हिन्दी और अंग्रेजी में अनुवाद और तात्पर्य के साथ एक महत्त्वपूर्ण संस्करण ) DK Printworld (P) Ltd, "Vedasri" F-395, Sudarshan Park, Near Gopal Jee dairy, New Delhi - 110 015 से वर्ष 202 में प्रकाशित है।
- “The Recensions of Nāṭyaśāstra” आई.एस.बी.एन. 978-93-80829-84-5, सुज्ञान कुमार माहान्ति द्वारा संपादित किया गया है, इसे राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन 11 मान सिंह रोड नई दिल्ली 110 001 और देव पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स, दूसरी मंजिल, प्रकाश दीप, 22, दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन रोड, दरिया गंज, नई दिल्ली - 110002 द्वारा संयुक्त रूप से प्रकाशित किया गया है। । पुस्तक में नाट्यशास्त्र की पाठ्य आलोचना पर 23 विद्वानों के शोध पत्र शामिल हैं। यह नाट्यशास्त्र के विभिन्न संस्करणों पर व्यवस्थित और गहन चर्चा प्रस्तुत करता है और भरत को श्रेय दिया गया नाट्यशास्त्र के प्राथमिक पाठ को खोजने के लिए एक मार्ग स्थापित करता है।
- लीलावती वीथी की संस्कृत टीका "प्राची" ISBN-978-81-246-1010-7, DOI - 10.5281/zenodo.11217331, DK Printworld (P) Ltd, "Vedasri" F-395, Sudarshan Park, Near Gopal Jee dairy, New Delhi - 110 015 से वर्ष 2020 में प्रकाशित है।
- सुबोधिनीसंस्कृतवृत्त्या सङ्गमनीहीन्दीवृत्त्या च विभूषिता अभिधावृत्तिमातृका, Chowkhamba Krishnadas Akademi, Varanasi, U.P. से 2008 में एवं 2019 में द्वितीय संस्करण प्रकाशित । मुकुलभट्ट की कृति अभिधावृत्तिमातृका पर प्रथम संस्कृत टीका सुबोधिनी है।
- काव्यतत्त्वालोकः - राष्ट्रिय संस्कृत विद्यापीठ, तिरुपति से वर्ष 2005 में प्रकाशित। "काव्यतत्त्वालोकः" यह ग्रन्थ भारतीय एवं पाश्चात्त्य काव्यशास्त्रीय सिद्धान्तों का एक तुलनात्मक अध्ययन है।
- काव्यशास्त्र - मध्यप्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय से वर्ष 2005 में प्रकाशित। काव्यशास्त्रीय सिद्धान्तों का यह एक संकलनात्मक ग्रन्थ है।
- काव्यप्रकाशीयसुधासागरटीकासमीक्षा - लोकभाषाप्रचारसमिति, पुरी से वर्ष 2001 में प्रकाशित।
शोधपत्र -
- A Textual Criticism of Śāradā Manuscript of the Nītiśatakam - Mahanty, S. K. (2023). A Textual Criticism of Śāradā Manuscript of the Nītiśatakam. Kriti Rakshana, 2023-1(1), 143–158. https://doi.org/10.5281/zenodo.8352971
- संस्कृतसाहित्यं प्रति पं.दुर्गादत्तशास्त्रिणो योगदानम् - Mahanty, S. K. (2021). संस्कृतसाहित्यं प्रति पं.दुर्गादत्तशास्त्रिणो योगदानम्. In Sanskrit Studies in the East, Vol. I (Sanskrit, pp. 565–589). Sanskrit Pustak Bhandar, 38, Vidhan Sarani, Kolkata-700006. https://doi.org/10.5281/zenodo.8351736
- Some Textual Problems of Nāṭyaśāstra Initiating towards digging of Primary Text - Mahanty, S. K. (2022). Some Textual Problems of Nāṭyaśāstra Initiating towards digging of Primary Text. In Samīkṣikā-19 – "The Recensions of Nāṭyaśāstra" (pp. 201–218). National Mission for Manuscripts 11 Man Singh Road New Delhi 110 001. https://doi.org/10.5281/zenodo.8351772.
- नानार्थशब्दजन्यशाब्दबोधमीमांसा - Mahanty, S. K. (2023). नानार्थशब्दजन्यशाब्दबोधमीमांसा. प्राची प्रज्ञा / prachi prajna, V(9), 179–187. https://doi.org/10.5281/zenodo.8351857.
- कुमारसम्भवस्य मूलपाठसमालोचने मल्लिनाथकृतसञ्जीवनीटीकाया योगदानम् (Contribution of Sañjīvanī of Mallinātha to the Textual Criticism of Kumārasabhava) - Mahanty, S. K. (2019). कुमारसम्भवस्य मूलपाठसमालोचने मल्लिनाथकृतसञ्जीवनीटीकाया योगदानम् (Contribution of Sañjīvanī of Mallinātha to the Textual Criticism of Kumārasabhava). Sahitya Vedika,vol.3 RSKS, Vedavyas Campus, H.P., 3(1). https://doi.org/10.5281/zenodo.8351866.
- Social Status of Women as depicted in the Abhijñāna-śākuntalam of Kālidāsa in context to present Indian Society - Mahanty, S. K. (2020). Social Status of Women as depicted in the Abhijñāna-śākuntalam of Kālidāsa in context to present Indian Society. THAI PRAJÑĀ, IV(1), 239–250. https://doi.org/10.5281/zenodo.8351833.