सामग्री पर जाएँ

सुकेतु

महाकाव्य रामायण में 'सुकेतु' एक यक्ष राजा थे,और दानव,ठाकाका के पिता। कई वर्षों तक निःसंतान रहने के बाद,सुकेतु ने सृष्टि निर्माता,ब्रह्मा का ध्यान किया और उनके आशीर्वाद से उन्हें एक अपूर्व सुंदरी पुत्री की प्राप्त हुई। उन्होंने उसका नाम ताड़का रखा। ताड़का की सुंदरता की खबर असुर राजा, सुमाली तक पहुंची, वह उसपर मोहित होकर उसे अंततः अपनी भार्या बनाने में सफल हुआ। ताड़का और सुमाली के तीन बच्चे थे । दो बेटे - सुबाहु और मारिच। यक्ष और सुमाली ने एक बार ऋषि अगस्त के छोटे कद का उपहास किया जिससे ऋषि अगस्त्य क्रोधित हो गए और उन्होंने यक्ष और सुमाली को मृत्यु का शाप दे दिया। ताड़का ने अपने एक बेटे सुबाहु की सहायता से अपने पिता और पति की मृत्यु का बदला लेने का प्रयास किया, जिसके परिणामस्वरूप ऋषि ने माँ और बेटे दोनों को बदसूरत, राक्षसी जीव में बदल दिया। वे जिस सुंदर नामक वन में रहते थे उसका नाम ताड़का वन हो गया। वे आये दिन उस वन में ऋषियों के यज्ञ और हवन में विघ्न डालने के लिए उत्पात मचाते थे, इसी से परेशान होकर महर्षि विश्वामित्र अयोध्या के सोलह वर्षीय राजकुमार राम और लक्ष्मण को लेकर यहां आये । जब दोनों राक्षसों ने मानव मांस और रक्त की बारिश कर विश्वामित्र के यज्ञ में बाधा डालने की दुबारा कोशिश की तो दोनों राजकुमारों (राम और लक्ष्मण) ने ताड़का का वध कर दिया।