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सरस्वतीचन्द्र (फ़िल्म)

सरस्वतीचन्द्र

सरस्वतीचन्द्र का पोस्टर
निर्देशक गोविन्द सरैया
लेखक एस. अली रज़ा (संवाद)
निर्माता विवेक
अभिनेतानूतन,
मनीष,
दुलारी
संगीतकारकल्याणजी-आनंदजी
प्रदर्शन तिथि
1968
देशभारत
भाषाहिन्दी

सरस्वतीचन्द्र १९६८ में बनी एक काली-सफ़ेद चलचित्र है। इसे गोविन्द सरैया ने निदेशित किया है और इसके मुख्य कलाकार हैं नूतन और मनीष। यह हिन्दी फ़िल्म की आख़िरी काली-सफ़ेद सिनेमा है।[1]
यह फ़िल्म गुजराती भाषा के इसी नाम के उपन्यास पर आधारित है जिसे गोवर्धनराम माधवराम त्रिपाठी ने लिखा था जो बीसवीं सदी के शुरुआती काल के प्रसिद्ध गुजराती लेखक थे। इस फ़िल्म को उत्कृष्ट छायांकन और उत्कृष्ट संगीत के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार मिले थे।[2]

संक्षेप

सरस्वती (मनीष) उसकी सौतेली माँ द्वारा उदासीनता के साथ पाला जाता है और फिर भी वह एक उदार व्यक्ति के रूप में बड़ा होता है। उसके अपने विचार हैं जो वह अपने पिता के साथ बांटता नहीं है। उसके पिता उसकी शादी एक अमीर परिवार की पढ़ी-लिखी लड़की कुमुद (नूतन) के साथ तय कर देते हैं, लेकिन क्रान्तिकारी सरस्वती इस रिश्ते को मंज़ूर नहीं करता है। फिर भी वह कुमुद को चिट्ठी लिखता है और उस ज़माने की रीतियों के विपरीत कुमुद से मिलने चला जाता है। वहाँ उनका प्रेम परवान चढ़ता है और दोनों मंगेतर एक दूसरे के आशिक़ हो जाते हैं। लेकिन तक़दीर को कुछ और ही मंज़ूर है।

मुख्य कलाकार

संगीत

इस फ़िल्म में गीत इन्दीवर के हैं और संगीत कल्याणजी-आनन्दजी ने दिया है।

सरस्वतीचन्द्र के गीत
#गीतगायक
चन्दन सा बदनमुकेश
चन्दन सा बदनलता मंगेशकर
छोड़ दे सारी दुनियालता मंगेशकर
हमने अपना सब कुछ खोयामुकेश
फूल तुम्हें भेजा है ख़त मेंलता मंगेशकर, मुकेश
ओ मैं तो भूल चली बाबुल का देसलता मंगेशकर

नामांकन और पुरस्कार

सन्दर्भ

  1. "IMDB User Review". imdb.com. मूल से 6 मार्च 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 जनवरी 2013.
  2. "National Awards". downmelodylane.com. मूल से 7 मई 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 जनवरी 2013.

बाहरी कड़ियाँ