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सरदार हेमसिंह भील

ठाकुर हेम सिंह राठौड़ एक देशप्रेमी सरदार थे। वे बाड़मेर के एक मजबूत सरदार थे। ने अपने लोगो के बीच मजबूत पकड़ बना रखी थी। बाड़मेर के पहाड़ी इलाके के नजदीक ही पाकिस्तानी घुसपैठ कर रहे थे, पूरे देश में भय का माहौल था, भारतीय सेना भी पहाड़ी इलाके तक पहुंच नहीं पा रही थी। ऐसे समय में भारत के वीर सरदार हेम सिंह ने वो कर दिखाया जो कोई सोच नहीं सकता ।[1][2]

सरदार हेम सिंह ने पहाड़ी इलाके के लोगों को इकट्ठा किया, लोगो में युद्ध करने का जोश भर दिया। पाकिस्तानियों के पास ऑटोमैटिक बंदूके और तोपे थी। इस देश के रक्षा के लिए सभी लोगो को एकजुट कर पाकिस्तानियों की तोपो का जवाब अपने जुगाड से दिया, लोगो ने धनुष- बाण और पुरानी बंदूके थी। सरदार हेम सिंह और उनके साथ कई लोग पाकिस्तानियों से युद्ध करते रहे। पहाड़ों पर घमासान युद्ध छिड़ा था, इस बात की जानकारी वहां के अध्यापक सुरेश ने 15 मिल चलकर आर्मी को दी तब आर्मी । तब तक भील बहादुरी से युद्ध करते रहे , कई जाबाज योद्धा इस देश के लिए शहीद हो गए । सरदार हेम सिंह ने अपने लोगो को बचाया भी और पाकिस्तानियों को इस देश में घुसने भी नहीं दिया।[1]

संदर्भ

  1. भारत के रण वीर बांकुरे
  2. Yudh-Morchon Ki Kahani. Atmaram & Sons.