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सरदार बहादुर खान

सरदार बहादुर खान

विपक्ष के नेता
पूर्वा धिकारी इब्राहिम इस्माइल चुंदरीगर
उत्तरा धिकारी नूरुल अमीन

पूर्वा धिकारी अबदुर राशिद खान
उत्तरा धिकारी मुफ्ती महमूद
(१९७२)

बलूचिस्तान के मुख्य कमिश्नर
पूर्वा धिकारी कुर्बान अली खान
उत्तरा धिकारी आर.ए.एफ हैरिदे

२रे संचार मंत्री
प्रधानमंत्री लियाक़त अली ख़ान
ख़्वाजा नज़ीमुद्दीन
मोहम्मद अली बोगरा
पूर्वा धिकारी अब्दुर राब नष्तर
उत्तरा धिकारी खान अब्दुल जब्बार खान

विदेशी मामले और कॉमनवेल्थ संबंध मंत्रालय
प्रधानमंत्री लियाक़त अली ख़ान

चुनाव-क्षेत्र उ.पू.-१२ (हज़ारा - प्रथम)

चुनाव-क्षेत्र हज़ारा ज़िला

जन्म ८ जुलाई १९०८
रेहाना गाँव, हरिपुर ज़िला, उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत ब्रिटिश भारत
मृत्यु ३१ दिसंबर १९७५ (उम्र ६७ वर्ष)
ऐब्टाबाद, उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत, पाकिस्तान
राष्ट्रीयता पाकिस्तानी
शैक्षिक सम्बद्धता अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एलएलबी)
व्यवसाय राजनेता

खान सरदार बहादुर खान (उर्दू: سردار بہادر خان) (जन्म ८ जुलाई १९०८ - ३१ दिसंबर १९७५) एक पाकिस्तानी राजनीतिज्ञ थे। वे खैबर-पख्तूनख्वा (तब उत्तर पश्चिमी सीमांत प्रांत कहा जाता था) के ९वें मुख्यमंत्री थे।[1]

व्यक्तिगत जीवन

वह रिसालदार मेजर मीर दाद खान के पुत्र और पूर्व सैन्य तानाशाह और राष्ट्रपति मुहम्मद अयूब खान के भाई थे।[2] उनका जन्म खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के हरिपुर जिले में रेहाना गाँव में हुआ था। वे हिंदको-भाषी पश्तूनों के तारिन जनजाति से थे।

उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से विधि स्नातक की डिग्री प्राप्त की।

राजनीतिक व्यवसाय

प्रांत में मुस्लिम लीग के एक सदस्य होते हुए वे १९३९ की सर्दियों में उपचुनाव में हरिपुर केंद्रीय निर्वाचन क्षेत्र से एनडब्ल्यूएफपी विधान सभा के लिए चुने गए थे।[3] १९४२ में वे विधानसभा के अध्यक्ष बने।

१९४६ के चुनाव में उन्हें फिर से चुना गया। खान ने बाद में १७ फरवरी से १० सितंबर १९४९ तक प्रधानमंत्री लियाकत अली खान की सरकार में जब उन्हें पूर्ण कैबिनेट मंत्री के रूप में पदोन्नत किया गया, तब उन्होंने विदेश मामलों, राष्ट्रमंडल संबंध और संचार राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया।

उन्होंने कई प्रधानमंत्रियों के मंत्रिमंडलों में संचार मंत्री के रूप में कार्य किया: १० सितंबर १९४९ से १९ अक्टूबर १९५१ तक लियाकत अली खान, २४ अक्टूबर १९५१ से १७ अप्रैल १९५३ तक ख्वाजा नजीमुद्दीन और १७ अप्रैल १९५३ से २४ अक्टूबर १९५४ तक मुहम्मद अली बोगरा । उन्होंने १० सितंबर १९४९ से २० सितंबर १९४९ तक स्वास्थ्य और कार्य का अतिरिक्त पोर्टफोलियो संभाला।

बहादुर खान ने ८ नवंबर १९५४ से १९ जुलाई १९५५ तक बलूचिस्तान के मुख्य आयुक्त के रूप में कार्य किया।

१९६२ के चुनावों के बाद वे राष्ट्रपति फील्ड मार्शल मुहम्मद अयूब खान की सरकार के दौरान पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता बने।[2]

क्वेटा में उनके नाम पर सरदार बहादुर खान महिला विश्वविद्यालय का नाम रखा गया और यह बलूचिस्तान में एकमात्र महिला विश्वविद्यालय है।[4][5]

संदर्भ

  1. Sardar Bahadur Khan listed in the newspaper article as having served as Chief Minister of Khyber Pakhtunkhwa (Northwest Frontier Province), The Nation newspaper, Published 1 June 2013, Retrieved 28 May 2017
  2. Former President Ayub Khan and Sardar Bahadur Khan as brothers Dawn newspaper, Published 30 January 2017, Retrieved 28 May 2017
  3. See notification to this effect in the Govt of NWFP Gazette Extraordinary Vol 32, No4, 1940, p. 11
  4. Sardar Bahadur Khan Women University Dawn newspaper, Published 7 April 2016, Retrieved 28 May 2017
  5. Quetta university shut after attacks BBC News website, Published 17 June 2013, Retrieved 28 May 2017
राजनीतिक कार्यालय
पूर्वाधिकारी
सरदार अबदुर राशिद खान
ख़ैबर पख़्तूनख़्वा के मुख्यमंत्री
१९५५
उत्तराधिकारी
मुफ्ती महमूद

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