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सम्भोग

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संभोग की मिशनरी पोजीशन, जिसे पॉल एवरिल ने बनाई है। (1892)

सम्भोग (अंग्रेज़ी: Sexual intercourse) मैथुन या सहवास की उस क्रिया को कहते है जिसमें नर का लिंग मादा की योनि में प्रवेश करता है। सम्भोग अलग अलग जीवित प्रजातियों के हिसाब से अलग अलग प्रकार से हो सकता है। सम्भोग को योनि मैथुन, काम-क्रीड़ा, रति-क्रीड़ा भी कहते हैं। सृष्टि में आदि काल से सम्भोग का मुख्य काम वंश को आगे चलाना व बच्चे पैदा करना है। जहाँ कई जानवर व पक्षी सिर्फ अपने बच्चे पैदा करने के लिए उपयुक्त मौसम में ही सम्भोग करते हैं वहीं इंसानों में सम्भोग इस वजह के बिना भी हो सकता है। सम्भोग इंसानों में सुख प्राप्ति या प्यार या प्रेम दिखाने का भी एक रूप है।

सम्भोग अथवा मैथुन से पूर्व की क्रिया, जिसे अंग्रेजी में फ़ोर-प्ले कहते है, इसके दौरान हर प्राणी के शरीर से कुछ विशेष प्रकार की गन्ध (फ़ीरोमंस) उत्सर्जित होती है जो विषमलिंगी को मैथुन के लिये अभिप्रेरित व उत्तेजित करती है। कुछ प्राणियों में यह मौसम के अनुसार भी पाया जाता है। वस्तुत: फ़ोर-प्ले से लेकर चरमोत्कर्ष की प्राप्ति तक की सम्पूर्ण प्रक्रिया ही सम्भोग कहलाती है बशर्ते कि लिंग व्यवहार का यह कार्य विषमलिंगियों के बीच हो रहा हो। कई ऐसे प्रकार के सम्भोग भी हैं जिसमें लिंग का उपयोग नर और मादा के बीच नहीं होता जैसे मुख मैथुन अथवा गुदा मैथुन उन्हें मैथुन तो कहा जा सकता है परन्तु सम्भोग कदापि नहीं। उपर्युक्त प्रकार के मैथुन अस्वाभाविक अथवा अप्राकृतिक व्यवहार के अन्तर्गत आते हैं या फिर सम्भोग के साधनों के अभाव में उन्हें केवल मनुष्य की स्वाभाविक आत्मतुष्टि का उपाय ही कहा जा सकता है, सम्भोग नहीं।

बैठने की स्थिति से संभोग करने वाला युगल, लोटस की स्थिति या लोटस का फूल कहलाता है

विभिन्न देशों में कुछ विशेष प्रकार के यौन कृत्यों पर प्रतिबंध है। अलग-अलग धर्मों और सम्प्रदायों के बीच कामुकता पर अलग-अलग विचार है। मानव को छोड़कर अधिकांश जीवों में सम्भोग करने का विशेष मौसम होता है। इस समय गर्भ धारण करने की संभावना सर्वाधिक होती है।

कानून

संभोग, सहवास के रूप में, मानव प्रजातियों के लिए प्रजनन का प्राकृतिक तरीका है। मनुष्यों ने इसके लिए नैतिक दिशानिर्देश बनाए हैं, जो धार्मिक और सरकारी कानूनों के अनुसार भिन्न होते हैं। कुछ सरकारों और धर्मों में "उपयुक्त" और "अनुचित" यौन व्यवहार के सख्त कानून या नियम बनाए गए हैं।

यौन अपराध

किसी मनुष्य के साथ बिना उसकी इच्छा या बिना उसे बताए उसके साथ संभोग करना बलात्कार की श्रेणी में आता है जिसे यौन उत्पीड़न भी कहा जाता है। यह कई देशों में गंभीर अपराध माना जाता है। आंकड़ों के अनुसार इस अपराध से पीड़ित लोगों में 90% से ज्यादा प्रतिशत महिलाओं का है। इन आंकड़ों के अनुसार 99% ब्लात्कारी पुरुष होते हैं और 5% मामलों में पीड़ित का ब्लात्कारी से जान-पहचान नहीं होता है।

ज़्यादातर देशों में सहमति हेतु निम्नतम उम्र निर्धारित किया गया है, जो आमतौर पर अलग अलग देशों में 16 से 18 के बीच होता है। यदि कोई निर्धारित उम्र से कम व्यक्ति से साथ उसके सहमति लेकर भी संभोग करता है, तो भी उसे कानूनी अपराध ही माना जाता है। कुछ देशों में ऐसे व्यक्ति के साथ संभोग करना, जिसकी मानसिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वो सहमति दे सके, उसे भी बलात्कार माना जाता है, चाहे उम्र कितनी भी हो।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ