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सफेद दाग

सफेद दाग के रोगी के हाथ

सफेद दाग (Leukoderma / ल्यूकोडर्मा) एक त्‍वचा रोग है। इस रोग से ग्रसि‍त लोगों के बदन पर अलग-अलग स्‍थानों पर अलग-अलग आकार के सफेद दाग आ जाते हैं। वि‍श्‍व में एक से दो प्रति‍शत लोग इस रोग से प्रभावि‍त हैं, लेकि‍न भारत में इस रोग के शि‍कार लोगों का प्रति‍शत चार से पांच है। राजस्‍थान और गुजरात के कुछ भागों में पांच से आठ प्रति‍शत लोग इस रोग से ग्रस्‍त हैं। शरीर पर सफेद दाग आ जाने को लोग एक कलंक के रूप में देखने लगते हैं और कुछ लोग भ्रम-वश इसे कुष्‍ठ रोग मान बैठते हैं।

त्वचा पर सफेद दाग बनने का मुख्य कारण मेलेनिन की कमी है। मेलेनिन शरीर में मौजूद एक प्राकृतिक पदार्थ है। मेलेनिन आंख की पुतली, बाल और त्वचा को रंग प्रदान करता है। मेलानोसाइट्स नामक कोशिकाएं शरीर में मेलेनिन का उत्पादन करती हैं। मेलेनिन के अलावा फोलिक एसिड, विटामिन डी3 और विटामिन बी12 की कमी भी सफेद दाग बनने का कारण हो सकता है।[1][2][3]

इस रोग से प्रभावि‍त लोग ज्‍यादातर हताशा में रहते हैं और उन्‍हें लगता है कि ‍समाज ने उन्‍हें बहि‍ष्‍कृत कि‍या हुआ है। इस रोग के एलोपैथी और अन्‍य चि‍कि‍त्‍सा-पद्धति‍यों में इलाज हैं। शल्‍यचि‍कि‍त्‍सा से भी इसका इलाज कि‍या जाता है, लेकि‍न ये सभी इलाज इस रोग को पूरी तरह ठीक करने के लि‍ए संतोषजनक नहीं हैं। इसके अलावा इन चि‍कि‍त्‍सा-पद्धति‍यों से इलाज बहुत महंगा है और उतना कारगर भी नहीं है। रोगि‍यों को इलाज के दौरान फफोले और जलन पैदा होती है। इस कारण बहुत से रोगी इलाज बीच में ही छोड़ देते हैं। डि‍बेर के वैज्ञानि‍कों ने इस रोग के कारणों पर ध्‍यान केंद्रि‍त कि‍या है और हि‍मालय की जड़ी-बूटि‍यों पर व्‍यापक वैज्ञानि‍क अनुसंधान करके एक समग्र सूत्र तैयार कि‍या है। इसके परि‍णामस्‍वरूप एक सुरक्षि‍त और कारगर उत्‍पाद ल्‍यूकोस्‍कि‍न वि‍कसि‍त कि‍या जा सका है। इलाज की दृष्‍टि‍से ल्‍यूकोस्‍कि‍न बहुत प्रभावी है और यह शरीर के प्रभावि‍त स्‍थान पर त्‍वचा के रंग को सामान्‍य बना देता है। इससे रोगी का मानसि‍क तनाव समाप्‍त हो जाता है और उसके अंदर आत्‍मवि‍श्‍वास बढ़ जाता है।

बाहरी कडियाँ

  1. Juhlin, L. "Improvement of vitiligo after oral treatment with vitamin B12 and folic acid and the importance of sun exposure".
  2. "Recent advances in understanding vitiligo".
  3. "Vitamin D Deficiency in Patients With Vitiligo: A Cross-Sectional Study From Basrah, Iraq".