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श्रीखंड

श्रीखंड

कुटे बादाम, केसर और इलायची युक्त श्रीखंड
उद्भव
वैकल्पिक नाम श्रीखंड शब्द संस्कृत शब्द 'शिखारिणी' यानि दही जिसमें दही और अन्य स्वादवर्धक पदार्थ जैसे केसर, फल, मेवे और कपूर मिलाये गये हों, से आया है। इसकी उत्पत्ति क्षीर (दूध) और खांड (चीनी) से भी मानी जाती है।
संबंधित देशभारत
देश का क्षेत्र महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, पंजाब और उत्तर प्रदेश (मथुरा)
व्यंजन का ब्यौरा
मुख्य सामग्रीदही, चीनी, इलायची अथवा केसर
लगभग कॅलोरीप्रति परोस % में श्रीखण्ड की रासायनिक संरचना आद्रता 34.48 - 35.66 वसा 1.93-5.56 प्रोटीन (प्रोभूजिन) 5.3-6.13 कुल ठोस 64.34-65.13 शर्करा (लैक्टोज़) 1.56-2.18 शर्करा (सुक्रोज़) 52.55 - 53.76

श्रीखंड एक भारतीय मिठाई है जिसे टंगी हुई दही और चीनी से बनाया जाता है। यह मुख्यत: गुजरात और महाराष्ट्र में लोकप्रिय है और इन दोनों राज्यों के प्रमुख मिष्ठानों में से एक है।

नामोत्पत्ति और इतिहास

श्रीखंड शब्द संस्कृत शब्द 'शिकरिणी' यानि दही जिसमें दही और अन्य स्वादवर्धक पदार्थ जैसे केसर, फल, मेवे और कपूर मिलाये गये हों, से आया है। इसकी उत्पत्ति क्षीर (दूध) और खांड (चीनी) से भी मानी जाती है।[1]

बनाने की विधि

श्रीखंड तैयार करने के लिए, दही को एक मलमल के कपड़े में बांध कर टांग दिया जाता है। इसके बाद अधिक पानी निकालने के लिए इस पर वजन रख कर दवाब दिया जाता है। इस प्रक्रिया से हमे ठोस दही मिलती है जिसे "चक्का" कहा जाता है। अब इस चक्के को फोड़ कर इसमे चीनी मिला कर अच्छी तरह मसला जाता है। इसके बाद इस मिश्रण में इलायची, केसर या अन्य कोई स्वादवर्धक मिलाया जाता है। अक्सर इसमें मौसमी मीठे फल जैसे कि आम और केला आदि भी मिलाये जाते हैं। फिर इसे ठंडा करके परोसा जाता है।

गुजराती व्यंजनों में, श्रीखण्ड को एक सहायक व्यंजन के तौर पर पूरी आदि के साथ (आमतौर "खाजा पूरी" की तरह जो एक स्वादिष्ट तली हुई परतदार रोटी है) या एक मिष्ठान के रूप में खाया जाता है। आमतौर पर यह एक गुजराती रेस्तरां की शाकाहारी थाली का एक मुख्य भाग होता है तथा इसे शादी के भोज में एक मुख्य मिष्ठान के रूप में परोसा जाता है।

प्रकार

फल युक्त श्रीखण्ड, मथो इसका एक लोकप्रिय प्रकार है जिसे मिठाई के रूप में गुजराती खाने के साथ परोसा जाता है। महाराष्ट्र में श्रीखण्ड का एक अन्य लोकप्रिय प्रकार आम्रखंड है जो आम के गूदे को मिला कर बनाया जाता है।

गुजरात में विशेषकर खंभात में इसे तरल रूप में परोसा जाता है जिसे शेडकी (गुजराती: શેડકી) कहते हैं। इसे तरल रूप में गुलाब की पंखुड़ियों के साथ ठंडा करके मिट्टी के पात्रों में परोसा जाता है।

महाराष्ट्र में श्रीखण्ड को दूध/दही या पानी मिलाकर पतला करके एक पेय के रूप में भी परोसा जाता है और यह पीयूष कहलाता है। पीयूष सामान्यतः महाराष्ट्र के सभी रेस्तरांओं में मिलता है।

सन्दर्भ

  1. Jashbhai B. Prajappati and Baboo M. Nair (2003). "The History of Fermented Foods". प्रकाशित Edward R. Farnworth (संपा॰). Handbook of Fermented Functional Foods. CRC Press. पपृ॰ 4–6. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-203-00972-7. मूल से 19 अप्रैल 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 मई 2018.