श्री हनुमान जी मंदिर उबदी
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इतिहास - यह प्राचीन हनुमान मंदिर (अब जीर्णोद्धार द्वारा नवनिर्मित) मध्यप्रदेश के खरगोन जिले के एक छोटे से ग्राम उबदी में स्थित है। प्राचीन काल में मंदिर का निर्माण गांव में तत्कालीन प्रमुख व्यक्तियों के निर्देशन में पूरे गांव के सहयोग से किया गया होगा, किन्तु इस तथ्य के साक्ष्य, पुराकालीन मंदिर निर्माण समिति और दानदाताओं का विस्तृत उल्लेख पूर्णरूप से प्राप्त नही है। तथापि यह अनुमान लगाया जा सकता है कि जब इस प्राचीन गांव को बसाया गया होगा, उसी समय गांव के सर्वेसर्वा अथवा कर्ता-धर्ताओं ने मंदिर को मूर्तरूप दिया होगा और इसी विषय में गांव के वृद्ध नागरिकों से मंदिर से जुड़ी प्राचीन कहानियां भी सुनने को मिलती है। 80 के दशक में मन्दिर में हनुमान जी की प्राचीन मूर्ति को किसी असामाजिक तत्व द्वारा खण्डित कर दिए जाने पर गांव के नागरिक "महिमाराम कन्हैया पाटीदार जी" द्वारा मूर्ति दान स्वरूप प्रदान की गयी।
गांव के समाजसेवी "श्री सीताराम पाटीदार(मामाजी)" के सतत प्रयासों और गांव के प्रबुद्ध व्यक्तियों के अटूट सहयोग से वर्षों पश्चात मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए वर्ष 2016 में आम नागरिकों को एकत्रित कर एक बैठक का आयोजन किया गया। जिसके अनुसार प्राचीन मंदिर को तोड़कर एक नए भव्य मंदिर की योजना स्वीकृत की गयी। ग्रामवासियों के सहयोग से धनराशि एकत्र कर मंदिर निर्माण योजना का शुभारंभ किया गया और समिति में अलग-अलग पदाधिकारियों को अलग-अलग दायित्व सौंपे गए। लगभग 8 माह में बनकर तैयार पुनर्निर्मित मंदिर का उद्घाटन 30 जुलाई 2017, मिति श्रावण शुक्ल सप्तमी, विक्रम संवत 2074 को गोस्वामी तुलसीदास जयंती के पावन पर्व किया गया।
मानचित्र - पुनर्निर्मित हनुमान मंदिर गांव के एकदम अंतिम छोर पर स्थित है। खरगोन - ठीकरी मार्ग पर गांव में स्थित शिवम मुखरंजन से दाहिने हाथ से गांव में प्रवेश करने वाली एक मुख्य गली सीधे हनुमान मंदिर तक पहुंचती है। दक्षिणमुखी इस मंदिर के पास ही ग्राम पंधानिया जाने के लिए एक संक्षिप्त मार्ग है। एक प्राचीन बावड़ी और बरगद के प्राचीन व विशाल वृक्ष मंदिर के बायीं ओर स्थित है। इस स्थान का प्राचीन काल में गांव के साथ बहुत ही महत्वपूर्ण सम्बंध रहा है। यह प्राचीन मंदिर, गांव के मध्य स्थित श्रीराम मंदिर से कुछ ही कदम की दुरी पर स्थित है। यह मंदिर गांव से ढलान वाली भूमि पर खड़ा है। मंदिर के गर्भगृह में संकतमोचन बजरंगबली की शिलाखण्ड पर उकेरी हुई मूर्ति स्थापित है। गर्भगृह के समक्ष ही बांयी ओर भगवान भोलेनाथ का एक छोटा मंदिर भी बनाया गया है। मंदिर से बाहर परिसर में दांयी ओर शीतला माता व छठी माता मंदिर का निर्माण भी पृथक रूप में किया गया है। निवासियों के अनुसार, यहां स्थित प्राचीन बावड़ी से मोट द्वारा पानी निकालकर पुरे गांव को पानी की आपूर्ति यहीं से की जाती थी। पुराने समय में विवाह जैसे अवसरों पर सहभोज का कार्यक्रम भी यहीं आयोजित किया जाता था।
दानदाता - वैसे तो मंदिर निर्माण समिति की ओर से दानदाताओं की विस्तृत जानकारी प्राप्त नही हुई है, किन्तु कुछ दानदाताओं के नाम ज्ञात है, जो निम्नलिखित है ―
1.ग्राम विकास समिति उबदी (₹2,00,000) 2.रामलला युवा मंडल उबदी (₹77,500) 3.महिलामण्डल उबदी (25,052) 4.श्री सीताराम मामाजी 5.श्री पहाड़सिंह दादा चौहान (शिवपरिवार मूर्ति) 6.जगदीश पाटीदार (घण्टी) 7.श्री महिमाराम पाटीदार (तीनों मंदिरों के कलश)
निर्माण समिति एवं शिल्पकार - निर्माण समिति - 1. श्री कृष्णलाल रमेश पाटीदार 2. श्री कमलेश कैलाश पाटीदार 3. श्री राजेंद्र स्व. मोहन पाटीदार 4. श्री कमल रामलाल पाटीदार 5. श्री सुरेश राजाराम पाटीदार 6. श्री महेंद्र भगवान पाटीदार 7. श्री राजेंद्र रमेश पाटीदार
शिल्पकार - 1. श्री सन्तोष कर्मा टेमला
साभार : मंदिर निर्माण समिति
![मंदिर के पास स्थित प्राचीन बरगद का वृक्ष](https://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/0/0e/%E0%A4%AE%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B0_%E0%A4%95%E0%A5%87_%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B8_%E0%A4%AC%E0%A4%B0%E0%A4%97%E0%A4%A6_%E0%A4%95%E0%A4%BE_%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9A%E0%A5%80%E0%A4%A8_%E0%A4%B5_%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%B2_%E0%A4%B5%E0%A5%83%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7.jpg/200px-%E0%A4%AE%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B0_%E0%A4%95%E0%A5%87_%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B8_%E0%A4%AC%E0%A4%B0%E0%A4%97%E0%A4%A6_%E0%A4%95%E0%A4%BE_%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9A%E0%A5%80%E0%A4%A8_%E0%A4%B5_%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%B2_%E0%A4%B5%E0%A5%83%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7.jpg)
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![मंदिर के पास स्थित प्राचीन बावड़ी](https://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/a/ae/%E0%A4%AE%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B0_%E0%A4%95%E0%A5%87_%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B8_%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9A%E0%A5%80%E0%A4%A8_%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A5%80.jpg/200px-%E0%A4%AE%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B0_%E0%A4%95%E0%A5%87_%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B8_%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9A%E0%A5%80%E0%A4%A8_%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A5%80.jpg)