शुजात बुखारी
शुजात बुखारी | |
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जन्म | 25 फ़रवरी 1968 भारत |
मौत | 14 जून 2018 श्रीनगर, जम्मू और कश्मीर, भारत | (उम्र 50)
मौत की वजह | हत्या |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
शिक्षा की जगह | एटिनो डी मनीला विश्वविद्यालय |
पेशा | संपादक, पत्रकार |
शुजात बुखारी (25 फरवरी 1968 - 14 जून 2018) एक भारतीय कश्मीरी पत्रकार और श्रीनगर से प्रकाशित अंग्रेजी दैनिक समाचार पत्र "राइजिंग कश्मीर" के प्रधान संपादक थे।, जिन्हें श्रीनगर में उनके कार्यालय के बाहर अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी। निजी सुरक्षा गार्ड के तौर पर उन्हें उपलब्ध कराए गए दो पुलिस अधिकारी भी इस हमले में मारे गए थे।[1]
शिक्षा
बुखारी ने एशियाई सेंटर फॉर जर्नलिज्म के एक फ़ेलो के रूप में एटिनो डी मनीला विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर किया था और विश्व प्रेस संस्थान के फैलोशिप प्राप्तकर्ता थे। वे ईस्ट-वेस्ट सेंटर, हवाई के फ़ेलो भी रहे हैं।
व्यक्तित्व
वे कश्मीर में एक सांस्कृतिक और साहित्यिक संगठन "आदबी मार्काज कामराज" के अध्यक्ष भी थे। उन्होने कई बार कश्मीर शांति सम्मेलनों का आयोजन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए थे और भारत तथा पाकिस्तान के बीच कूटनीति का अहम हिस्सा रहे हैं।
बुखारी श्रीनगर के जाने-माने पत्रकारों में से एक थे। उन्हें घाटी के बारे में अच्छी जानकारी थी और लोकतंत्र समर्थक थे। उन्होने दुनिया के कई प्रतिष्ठित मीडिया संगठनों के लिए कॉलम लिखे थे। उन्होने कश्मीर टाइम्स से अपने करियर की शुरुआत की थी। वे 15 सालों तक द हिंदू के ब्यूरोचीफ भी रहे हैं और अपने लेखों के दम पर उन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिली थी। 90 के दशक में वे द हिन्दू से जुड़ गए। इस दौरान कई खबरों के चलते उन्हें राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली। वे मानवधिकार के बड़े समर्थक थे। उनका आखिरी ट्वीट भी उनकी सोच को दर्शाता है। उन्होंने इस ट्वीट में जम्मू-कश्मीर को लेकर संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट को बताते हुये अपने वेबसाइट का एक लिंक शेयर किया था। यूएन की इस रिपोर्ट में जम्मू-कश्मीर मानवाधिकारी को लेकर भारत और पाकिस्तान दोनों की निंदा की गई है। वे घाटी में कश्मीरी पंडितों और मुस्लिमों के बीच खाई पाटने की हमेशा कोशिश किया करते थे। वे कहते थे कि कुछ टीवी चैनल कश्मीर में जहर फैला रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन चैनलों ने सभी कश्मीरियों को पत्थरबाज बताकर बड़ा नुकसान किया है।
बुखारी ने दुबई में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई ट्रैक 2 की बातचीत में आजाद कश्मीर की वकालत की थी और कश्मीर में चलाए जा रहे भारत सरकार की पहल का स्वागत किया था। यह पाकिस्तान की सेना, आईएसआई और आतंकी संगठन जैसे कि हिजबुल मुजाहिद्दीन को उनकी बातें रास नहीं आईं। खुफिया एजेंसियों से मिली जानकारी के अनुसार उनका यूनाइटेड जिहाद काउंसिल के अध्यक्ष और हिजबुल के मुखिया सैय्यद सलाहूद्दीन से मतभेद था। कश्मीर की आजादी का स्वर लिस्बन और बैंकॉक में गूंजा जिसकी वजह से वे आईएसआई और पाकिस्तान की सेना की आंखों में खटकने लगे क्योंकि पाकिस्तान कश्मीर को अपने कब्जे में करना चाहता है।[2]
निधन
14 जून 2018 को सुबह करीब 7:15 मिनट पर बुखारी प्रेस एन्क्लेव स्थित अपने कार्यालय से बाहर आए और जब वह अपनी कार में थे, आतंकवादियों ने उन पर हमला कर दिया। तीन मोटरसाइकिल सवार आतंकवादी आए और बुखारी व उनके सुरक्षाकर्मियों पर गोली चला दी। बुखारी और एक सुरक्षाकर्मी की मौके पर ही मौत हो गई जबकि एक अन्य गार्ड गंभीर रूप से घायल हो गया., जिसकी मृत्यु अस्पताल पहुँचने पर हुयी।[3]
सन्दर्भ
- ↑ शुजात बुखारी को हो गया था हत्या का अंदेशा, महबूबा से की थी सुरक्षा बढ़ाने की मांग Archived 2018-06-19 at the वेबैक मशीन (पंजाब केशरी)
- ↑ आईएसआई और हुर्रियत ने करवाई पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या? Archived 2018-06-18 at the वेबैक मशीन(अमर उजाला)
- ↑ 'शांति' और 'संवाद' की हिमायत करने वाले शुजात बुखारी आखिर क्यों थे निशाने पर, 10 बड़ी बातें Archived 2018-06-17 at the वेबैक मशीन (एन डी टी वी इंडिया)