शाहपुर, उत्तर प्रदेश
शाहपुर (नवाब रहमत इलाही खां) Shahpur ke nawab | |
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Shahpur ke Nawab | |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
ज़िला | मुज़फ़्फ़रनगर ज़िला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 20,154 |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | हिन्दी[1] |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
Shahpur ke Nawab (Shahpur) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के मुज़फ़्फ़रनगर ज़िले में स्थित एक नगर है।दरबार मस्जिद शाहपुर में मुगल शासन काल में बनी एक खूबसूरत मस्जिद है जिसकी देखभाल वह के काजी परिवार के एक सदस्य जिनके बुजुर्गों के संबंध नवाबों के समय से है जिनका नाम काजी सुहाले इब्न काजी शोएब इब्न काजी इलियास वो काफी समय से इस मस्जिद की देखभाल कर रहे हैं ।
रियासत शाहपुर नवाब खाँ और नवाब अब्दुल रज्जाख खाँ मलेर कोटला के नवाब थे दोनों भाइयों में कुछ कहासुनी हो गई थी । तब अब्दुल रज्जाख खाँ ने सन् 1620 मे मालेर कोटला छोड़कर मुगल बादशाह जहाँगीर के पास चले गए । जहाँगीर ने नवाब अब्दुल रज्जाक खाँ को वज़ीर मालगुजारी बनाकर शोरम भेज दिया था । क्योंकि बुढ़ाना से मु०नगर तक के इलाके से मुगलो को वसूली नही पहुंच रही थी । तब अब्दुल रज्जाक खाँ ने वसूली लेनी शुरू की और मुगलो की वसूली पहुंचाते थे । फिर अब्दुल रज़्ज़ाक खाँ ने कुछ साल बाद तीन सौ कुछ रूपए में शाहपुर की जमीन खरीद ली जिसका पुराना नाम भूताहेडी था । इस जमीन को खरीदकर किला तामीर कराया और बसावत कराई । और इसका नाम शाहजहां के नाम पर रखा शाहपुर यह कस्बा शाहपुर सन् 1636 में तामीर हो चुका था तब अब्दुल रज्जाक खाँ ने शाहजहां को एक खत लिखा के शहंशाह मेने एक कस्बा बसाया है । जिसका नाम आपके नाम पर शाहपुर रखा है । तो बादशाह ने खुश होकर उनकी ईमानदारी और वफादारी को देखकर ( 21 ) गाँव " उनके मातहत कर दिये । और उन्हें यहाँ का नवाब घोषित कर दिया । अब्दुल रज्जाक खाँ का 1669 में इंतिकाल हो गया यह अब भी देखने के लायक बहुत सी इमारत मौजूद हैं जेसे नवाब रहमत इलाही खां की हवेली, पुराना दरबार , 395 साल पुराना दरबार का दरवाजा, दरबार मस्जिद या शाही मस्जिद , नवाबों का कब्रिस्तान, दरबार मस्जिद शाहपुर में मुगल शासन काल में बनी एक खूबसूरत मस्जिद है जिसकी देखभाल वह के काजी परिवार के एक सदस्य जिनके बुजुर्गों के संबंध नवाबों के समय से है | जिनका नाम काजी सुहाले इब्न काजी शोएब वो काफी समय से इस मस्जिद की देखभाल कर रहे और समय समय पर इसकी मरम्मत कराते हैं जिसकी वज़ह से ये मस्जिद इतना समय बीत जाने के बाद भी अपने वजूद में बाकी है शाहपुर रियासत में नवाबों के दरबार में काजी नूरo (शाही ओहदे) पर काबिज थे जो खुद रियासत और 3 तहसील के तमाम फैसलों को करते थे जो अपने समय के पार्षद जिला जज थे और खुद शाही इमाम भी हुआ करते थे और रियासत से सटे जितने भी अहम फैसले होते थे वो उनके बिना मंजूरी नहीं मिलती थी और वे शाही मस्जिद में खुद लोगों की इमामत करते थे | शौकत जहां शाहपुर रियासत की आखिरी वंशज थी | वो अपने समय में 5 साल शाहपुर की पूर्व चेयरमैन भी रहे चुकी थी उनका देहांत 10 अक्टूबर 2010 को शाहपुर की प्रसिद्ध 52 दरी हवेली पर हुआ था | शौकत जहां की कबर दरबार के शैख सिद्दिकी कब्रिस्तान में मोजूद है | यह पर प्रसिद्ध दरबार चौक का गेट जो काफी पुराना और जर्जर हो चुका था | उसकी मरम्मत 1 जून 2022 को शाहपुर के पूर्व चेयरमैन अध्यक्ष (काजी आरिफ सिद्दिकी) ने अपने खुद की लागत से कराया था | शाहपुर रियासत के अंतर्गत जिला मुजफ्फरनगर की कुकड़ा मंडी बकरा मार्केट और मुजफ्फरनगर का रेलवे स्टेशन भी शाहपुर के नवाबों के अंडर में हुआ करता था ||
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ "52nd Report of the Commissioner for Linguistic Minorities in India" (PDF). nclm.nic.in. Ministry of Minority Affairs. मूल (PDF) से 25 May 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 March 2019.