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शरीर (जैविकी)

शरीर एक जीव की भौतिक सामग्री है। इसका उपयोग केवल उन जीवों हेतु किया जाता है जो एक भाग या पूर्ण में हैं। ऐसे जीव हैं जो एकल कोशिकाओं से पूर्ण जीवों में बदलते हैं: उदाहरणार्थ, कीचड़ सांचे । उनके हेतु 'शरीर' शब्द का अर्थ बहुकोशिकीय अवस्था होगा। अन्य उपयोग:

  • पादप शरीर: पौधे प्रतिरूपक होते हैं, विभज्योतक द्वारा प्रतिरूप बनाए जाते हैं और शरीर में प्रायः प्ररोह तन्त्र और मूल तन्त्र दोनों होते हैं, शरीर का विकास इसके पर्यावरण से प्रभावित होता है। [1]
  • कोशिका शरीर: यहाँ इसका उपयोग न्यूरॉन जैसी कोशिकाओं हेतु किया जा सकता है जिनमें लंबे तंत्रिकाक्ष होते हैं। कोशिका शरीर वह भाग है जिसमें केन्द्रक होता है ।

मृत व्यक्ति के शरीर को शव कहा जाता है।

मानव शरीर में एक शिर, गर्दन, धड़, दो बाहु, दो पैर और कमर के जननांग होते हैं, जो पुरुषों और महिलाओं के मध्य भिन्न होते हैं।

शरीरों और उनकी विशिष्ट संरचनात्मक विशेषताओं के अध्ययन से सम्बन्धित जीव विज्ञान की शाखा को आकारिकी कहा जाता है। [2] शारीरिकी आकृति विज्ञान की एक शाखा है जो ऊतक से उच्च स्तर पर शरीर की संरचना से सम्बन्धित है। [3] शारीरिकी ऊतकविज्ञान से नैकट्य से सम्बन्धित है, जो ऊतकों की संरचना के साथ-साथ कोशिका विज्ञान का अध्ययन करता है, जो एकक कोशिकाओं की संरचना और प्रकार्य का अध्ययन करता है, जिससे अध्ययन किए गए सूक्ष्मजीव के ऊतकों और अंगों का निर्माण होता है।

शरीर में प्रकार्यों और तंत्र का अध्ययन शरीरक्रिया विज्ञान है। [4] [5]

सन्दर्भ

  1. Oborny, Beata (2019-04-22). "The plant body as a network of semi-autonomous agents: a review". Philosophical Transactions of the Royal Society B. डीओआइ:10.1098/rstb.2018.0371. पी॰एम॰सी॰ 6553591. अभिगमन तिथि 2021-06-25.
  2. "Morphology Definition of Morphology by Oxford Dictionary on Lexico.com also meaning of Morphology". Lexico DictionariesEnglish (अंग्रेज़ी में). मूल से March 5, 2020 को पुरालेखित.
  3. "Anatomy – Definition of anatomy by Merriam-Webster". merriam-webster.com.
  4. "What is physiology? — Faculty of Biology". biology.cam.ac.uk (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2018-07-07.
  5. Prosser, C. Ladd (1991). Comparative Animal Physiology, Environmental and Metabolic Animal Physiology (4th संस्करण). Hoboken, NJ: Wiley-Liss. पपृ॰ 1–12. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-471-85767-9.