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शतकत्रय

भर्तृहरि द्वारा विरचित निम्नलिखित तीन ग्रन्थों को सम्मिलित रूप से शतकत्रय कहते हैं। दक्षिण भारत में 'सुभाषित त्रिशति' भी कहते हैं।