वेब सर्वर
वेब सर्वर वह सॉफ्टवेयर होता है जो वेब पेज सर्व करता है, अर्थात वह सॉफ्टवेयर जो वेब पेजों को उपयोक्ताओं तक पहुंचाता है। इसे दो भागों में बांट कर देखा जा सकता है: वह मशीन जिस पर वैबसर्वर को स्थापित किया जाता है और वो सॉफ्टवेयर जो वैब सर्वर की तरह काम करता है। ये पहला हार्डवेयर व दूसरा सॉफ्टवेयर होते हैं। सामान्यतयावे वेब पेज HTTP प्रोटोकॉल द्वारा उपयोक्ताओं तक पहुंचाये जाते है। किसी भी कंप्यूटर में वेब सर्वर का सॉफ्टवेयर स्थापित कर और उसे इंटरनेट से जोड़ कर उपयोक्ता उसे अंतरजाल पर वेब पेज प्रदान करने वाले वेब सर्वर में बदल सकते हैं। उपयोक्ता जो भी वेब पेज अंतरजाल पर देखते हैं वे उनके कंप्यूटर पर पास किसी ना किसी वेब सर्वर के द्वारा ही पहुंचाये जाते हैं। यदि उपयोक्ता अपने कंप्यूटर पर केवल सॉफ्टवेयर स्थापित करें और उसे इंटरनैट से ना जोड़े तो भी वो पूरा वेब सर्वर है जो कि केवल स्थानीय रूप से उपयोक्ता के लिये काम करेगा।[1]
लक्षण
- एच.टी.टी.पी.
हर वैब सर्वर अपने क्लांइट से एच.टी.टी.पी. (HTTP) निर्देश लेता है और यही निर्देश वापस देता है। एच.टी.टी.पी. एक तरह का प्रोटोकॉल है, जिसका पूरा नाम है हाइपर टैक्स्ट ट्रांस्फर प्रोटोकॉल। मुख्यत: वैब सर्वर जो निर्देश लौटाता है वह एचटीएमएल में होते हैं लेकिन इसके अलावा वैब सर्वर डॉक्यूमैंट, चित्र, फोटो, वीडियो आदि भी भेज सकता है। यदि क्लांइट ने कुछ ऐसी चीज की मांग रखी हो जो वैब सर्वर के पास नहीं है तो वैब सर्वर अपने क्लांइट को एक त्रुटि-संदेश भेजेगा।
- लॉगिंग
हर वैब सर्वर अपने हर क्लांइट से संबंधित जानकारी अपने वैब लॉग में रखता है, जिसमें क्लांइट का आई.पी, उसके द्वारा मांगी गयी जानकारी आदि होती है। ये आंकड़े वैब सर्वर के स्वामी यानि वैब मास्टर के लिये बहुत काम के होते हैं। ये दो लक्षण किसी भी वैब सर्वर में होने आवश्यक हैं लेकिन इसके अलावा भी वैब सर्वर में कुछ और विशेषताऐं होती है, जो लगभग सभी वैब सर्वर में पायी जाती हैं लेकिन उनका प्रयोग करने का तरीका हर सर्वर में अलग अलग हो सकता है।
सुरक्षित एचटीटीपी एच.टी.टी.पी.एस. यानि HTTPS सामान्यत: कोई भी वैब सर्वर क्लांइंट को अपने पोर्ट ८० में ही कनेक्ट करने की अनुमति देता है। लेकिन सुरक्षा के लिये वैब सर्वर में एस.एस.एल. या टी.एस.एल सपोर्ट होता है जो क्लांइंट को वैब सर्वर के पोर्ट 443 में कनेक्ट करता है।
सत्यापन (Authentication): आप वैब सर्वर के द्वारा अपने क्लांइट को सत्यापित भी कर सकते हैं अर्थात आप उन्ही क्लांइट के निर्देश ले सकते हैं या उन्हे दे सकते हैं जिन्हे आपने किसी भी सत्यापन विधि से सत्यापित कर लिया है। जैसे कि यूजर-नेम और पासवर्ड.आप चाहें तो आप अपने वैब सर्वर की केवल चुनिंदा सामग्री या फिर पूरी सामग्री के लिये ऐसा कर सकते हैं।
कंप्रेशन: कभी कभी आपके क्लांइट आपके वैब सर्वर पर रखी कुछ ऐसी सामग्री मांगते हैं जिसका आकार (साइज) काफी ज्यादा होता है तो ऐसी स्थिति में बैंडविड्थ बचाने के लिये वैब सर्वर उस सामग्री को कंप्रेस कर उसे छोटे आकार में परिवर्तित कर देता है।
वर्चुअल होस्टिंग : अधिकतर वैब सर्वर वर्चुअल होस्टिंग की सुविधा देते हैं। वर्चुअल होस्टिंग वह है जिसमें एक ही आई.पी एड्रेस के द्वारा एक से अधिक साइट्स को वैब सर्वर पर स्थापित किया जाता है।
अधिकतर वैब सर्वर स्टैटिक सामग्री और डायनामिक सामग्री दोनों को भेजने में सक्षम होते हैं। स्टैटिक सामग्री वह सामग्री जो कि पूर्व निर्धारित है जैसे किसी कंपनी के बारे में जानकारी या कोई डॉक्यूमेंट. डायनामिक सामग्री वह सामग्री है जो क्लांइट के अनुसार, समय के अनुसार या फिर किसी और आधार पर बदलती रहती है। जैसे यदि मैं अपने शहर के ही समाचार देखना चाहूं तो मुझे केवल अपने शहर के समाचार ही दिखेंगे.
वैब सर्वर के लिये आजकल बहुत से सॉफ्टवेयर उपलब्ध हैं जैसे माइक्रोसोफ्ट का आई.आई. एस.(Microsoft IIS), अपाची (Apache), गूगल का जीएफी (GFE by Google), नैटस्केप (Netscape) आदि.इनमे से कुछ कॉमर्शियल सॉफ्टवेयर हैं तो कुछ मुफ्त.अपाची मुफ्त और मुक्त सॉफ्टवेयर है और अंतरजाल पर उपस्थित बहुत सी साइट्स इसी पर स्थापित हैं।
सन्दर्भ
- ↑ Nelson, William; Srinivasan, Arvind; Chintalapati, Murthy (2009-08-13). Sun Web Server: The Essential Guide (अंग्रेज़ी में). Pearson Education. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-13-704936-3.