विद्यासागर महाविद्यालय
विद्यासागर महाविद्यालय भारत के पश्चिम बंगाल के उत्तरी कोलकाता में स्थित राज्य सरकार द्वारा सहायता प्राप्त एक सार्वजनिक महाविद्यालय है। यह कलकत्ता विश्वविद्यालय से संबद्ध है। [1] यह कॉलेज कला और विज्ञान के कई विषयों में स्नातकोत्तर और स्नातक दोनों पाठ्यक्रम प्रदान करता है। 1872 में स्थापित, यह भारत का पहला निजी कॉलेज (अब सरकारी) था जो विशुद्ध रूप से भारतीयों द्वारा संचालित और वित्तपोषित था। इसका नाम 1917 में इसके संस्थापक ईश्वर चंद्र विद्यासागर के नाम पर रखा गया था [2]। इसके पूर्व यह 'मेट्रोपॉलिटन इंस्टीट्यूशन' के नाम से जाना जाता था।
इतिहास
ठाकुरदास चक्रवर्ती नाम के एक बंगाली शिक्षाविद् ने 1859 में कलकत्ता ट्रेनिंग स्कूल की स्थापना की। शिक्षाविद् और समाज सुधारक ईश्वर चंद्र विद्यासागर स्कूल में प्रबंध समिति के अध्यक्ष के रूप में संस्था में शामिल हुए। 1864 में इस विद्यालय का नाम बदलकर 'मेट्रोपॉलिटन इंस्टीट्यूशन' रखा गया। [3]
महाविद्यालय के रूप में उन्नयन
1864 में, ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने प्रथम कला (एफए) पाठ्यक्रम से संबद्धता के लिए कलकत्ता विश्वविद्यालय में आवेदन किया। मुख्य रूप से प्रेसीडेंसी कॉलेज के तत्कालीन प्राचार्य श्री जे. सटक्लिफ द्वारा उठाई गई आपत्ति के कारण आवेदन को ठुकरा दिया गया था। उन्होंने कहा कि भारतीयों द्वारा संचालित प्रतिस्पर्धी कॉलेज को संबद्धता देना प्रेसीडेंसी कॉलेज की गरिमा और महत्व को कम कर सकता है। हालांकि, 1871 में कलकत्ता विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षा में स्कूल के छात्रों ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया। छात्रों के इस शानदार प्रदर्शन से उत्साहित विद्यासागर ने विश्वविद्यालय से संबद्धता प्राप्त कराने के लिये पुनः प्रयास प्रारम्भ किया। इस बार, कुछ विरोध के बावजूद, विश्वविद्यालय के कुलपति, एडवर्ड क्लाइव बेल, प्रस्ताव पर सहमत हुए और 27 जनवरी 1871 को सिंडिकेट ने अपनी बैठक में संबद्धता के लिए प्रार्थना को स्वीकार कर लिया और सरकार को इसकी सिफारिश की। अंत में, 19 फरवरी 1871 को भारत सरकार ने जनवरी 1872 के महीने से कला में प्रथम परीक्षा (एफए) के स्तर तक संस्थान की संबद्धता को मान्यता दी। [3] इस प्रकार यह महाविद्यालय बंगाल प्रेसीडेंसी में पहला निजी और सही मायने में धर्मनिरपेक्ष कॉलेज बन गया, जिसे भारतीयों द्वारा चलाया, पढ़ाया और यहां तक कि वित्तपोषित भी किया गया। कॉलेज में शुरू में केवल 5 विभाग शुरू हुए, जिसमें संस्कृत, अंग्रेजी, दर्शनशास्त्र और सामान्य इतिहास शामिल थे। सुरेन्द्रनाथ बनर्जी जैसे लोग इस संस्थान में अध्यापन से जुड़े थे। [4]
परिसर
इस महाविद्यालय के कोलकाता में कई परिसर हैं। मुख्य परिसर कॉलेज स्ट्रीट में 39 शंकर घोष मार्ग में स्थित है । दूसरा परिसर बिधान सरणी रोड पर है जो कॉलेज स्ट्रीट परिसर में आंतरिक रूप से जुड़ा हुआ है। इसी क्षेत्र में महिला महाविद्यालय और विद्यासागर मेट्रोपॉलिटन कॉलेज भी जुड़े हुए हैं। कॉलेज का तीसरा परिसर 'साल्ट लेक' क्षेत्र के सेक्टर दो में है, जो विशेषतः स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए है। [5] मार्कस स्क्वायर में (लगभग) 2 एकड़ का खेल का मैदान भी है।
पूर्व छात्र
- स्वामी विवेकानन्द, दार्शनिक एवं संन्यासी
- केशव चन्द्र सेन, व्राह्मनेता व समाज संस्कारक
- प्रफुल्ल चन्द्र राय, विज्ञानी
- सत्यचरण लाहा, प्रकृतिविद व पक्षीविद
- यतीन्द्रनाथ दास, स्वाधीनतासंग्रामी
- राम मनोहर लोहिया, स्वाधीनतासंग्रामी
- आनन्द चन्द्र अग्रवाल, असमिया साहित्यकार
- गणेश मान सिंह, नेपाली स्वाधीनता संग्रामी व राजनेता
- प्रभातरंजन सरकार, धर्मगुरु व आनन्दमार्ग, प्रभात सङ्गीत, नव्यमानवतावाद, प्रगतिशील व्यवहारिक तत्त्व के जनक
- शरदिन्दु वन्द्योपाध्याय, उपन्यासकार
- विश्वनाथ मुखोपाध्याय, राजनीतिविद
- मान्ना दे, गायक
- राम सुन्दर दास, राजनीतिविद
- व्रजेन दास, साँतारु
सन्दर्भ
- ↑ "Affiliated|Colleges". www.caluniv.ac.in.
- ↑ "Vidyasagar College". www.vidyasagarcollege.edu.in. अभिगमन तिथि 2021-06-03.
- ↑ अ आ "Vidyasagar College|History, Glory & Evolution". www.vidyasagarcollege.edu.in. अभिगमन तिथि 2021-06-03. सन्दर्भ त्रुटि:
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अमान्य टैग है; "auto1" नाम कई बार विभिन्न सामग्रियों में परिभाषित हो चुका है - ↑ http://insaindia.res.in/BM/BM1_6606.pdf
- ↑ "Vidyasagar College|Campus". www.vidyasagarcollege.edu.in. अभिगमन तिथि 2021-06-03.