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वासोक्त

उर्दू साहित्य में वासोख्त उस कविता को कहते हैं जिसमें प्रेमी जीवन के कष्टों और चिंताओं से घबराकर प्रेमिका से जली-कटी बातें करने लगता है। मसलन वह कहता है कि तुममे मैने ही सुंदरता खोजी है। और तुमसे मैने ही पहले-पहल प्रेम किया है। अब तुम दूसरे की ओर झुक रहे हो मैं भी दूसरे से प्रेम कर तुम्हेंे[1]

  1. आनंद, शिवराज. जीवन की सोच. लेखक स्वयं. पृ॰ 56. नामालूम प्राचल |छत्तीसगढ़= की उपेक्षा की गयी (मदद)