वासोक्त
उर्दू साहित्य में वासोख्त उस कविता को कहते हैं जिसमें प्रेमी जीवन के कष्टों और चिंताओं से घबराकर प्रेमिका से जली-कटी बातें करने लगता है। मसलन वह कहता है कि तुममे मैने ही सुंदरता खोजी है। और तुमसे मैने ही पहले-पहल प्रेम किया है। अब तुम दूसरे की ओर झुक रहे हो मैं भी दूसरे से प्रेम कर तुम्हेंे[1]