वरांगचरितसंस्कृत का काव्यग्रन्थ है। इसके रचयिता जटासिंहनन्दि को माना जाता है जिनका काल ७वीं से ९वीं शती के बीच है। यह जैन धर्म से सम्बन्धित ग्रन्थ है जिसमें ३१ अध्याय हैं।
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