वस्तु (अर्थशास्त्र)
अर्थव्यवस्था में, वस्तु एक माल है, जो मानवीय चाहों को संतुष्ट करता है,[1] और उपयोगिता प्रदान करता है, उदाहरणार्थ, ऐसे उपभोक्ता को, जो पर्याप्त-संतोषजनक उत्पाद पाते वक़्त, क्रय कर रहा हो। एक आम अन्तर "वस्तुओं" और "सेवाओं" के बीच किया जाता है कि वस्तु मूर्त सम्पत्ति होते हैं, और सेवाएँ अभौतिक होती हैं।[2] वस्तु एक उपभोज्य चीज़ है, जो लोगों के लिए उपयोगी है, पर माँग की तुलना में दुर्लभ है, जिससे उसे प्राप्त करने के लिए मानवीय उद्यम की आवश्यकता होती है। इसके विपरीत, मुफ़्त वस्तु, जैसे कि हवा, प्राकृतिक रूप से प्रचुर आपूर्ति में हैं, और उन्हें प्राप्त करने के लिए किसी अभिज्ञ उद्यम की ज़रुरत नहीं पड़ती।
पण्य, आर्थिक वस्तुओं के लिए समानार्थी के रूप में उपयुक्त हो सकते हैं, पर अक़्सर उनका सन्दर्भ विपणीक्रिय कच्चे माल और प्राथमिक उत्पादों से होता हैं।[3]
यद्यपि आर्थिक सिद्धान्त में, सभी वस्तु मूर्त माने जाते हैं, पर वास्तव में, कुछ वस्तुओं के वर्ग जैसे कि सूचना केवल अमूर्त रूप लेते हैं। उदाहरणार्थ, अन्य वस्तुओं के बीच, सेब एक मूर्त वस्तु है, जबकि समाचार, वस्तुओं के अमूर्त वर्ग का हिस्सा हैं, जो किसी साधन जैसे कि प्रिंट या दूरदर्शन के माध्यम से ही दृष्टिगोचर हो सकता हैं।
सन्दर्भ
- ↑ Quotation from Murray Milgate, [1987] 2008, "goods and commodities, " The New Palgrave Dictionary of Economics, 2nd ed., preview link Archived 2013-05-27 at the वेबैक मशीन, in referencing an influential parallel definition of 'goods' by Alfred Marshall, 1891. Principles of Economics, 2nd ed., Macmillan.
- ↑ Alan V. Deardorff, 2006. Terms Of Trade: Glossary of International Economics, World Scientific. Online version: Deardorffs' Glossary of International Economics, "good" Archived 2017-02-15 at the वेबैक मशीन and "service". Archived 2017-07-01 at the वेबैक मशीन
- ↑ Alan V. Deardorff, 2006, Deardorffs' Glossary of International Economics "commodity". Archived 2017-01-10 at the वेबैक मशीन
बाहरी कड़ियाँ
- Goods (economics) से संबंधित विकिमीडिया कॉमन्स पर मीडिया