वंश (संस्कृत)
संस्कृत में वंश का अर्थ 'कुल' या 'परिवार' है। किन्तु 'वंश' उपसर्ग से युक्त नाम से प्राचीन काल में एवं मध्यकाल में कुछ बौद्ध, हिन्दू और जैन ग्रन्थ भी लिखे गए हैं। इन ग्रन्थों में वंशावलियाँ दी गयीं हैं। यूरोपीय साहित्य में जिस प्रकार से इतिहास की रचना हुई है, ये ग्रन्थ उसी तरह के हैं किन्तु अन्तर यह है कि ये ग्रन्थ अधिकांशतः मिथकीय प्रतीत होते हैं। इनमें पुनर्जन्म जैसे आध्यात्मिक सिद्धान्त अन्तर्निहित हैं।
बौद्ध धर्म
- बुद्धवंश
- दीपवंश
- महावंश
- थूपवंश
- दाथवंश या धातुवंश, या दन्तधातु, या दन्तधातुवण्णना
- सासनवंस या थथानविन
- संगीतवंश (थाई भाषा में)
हिन्दू धर्म
- सूर्यवंश
- चन्द्रवंश
- अग्निवंश
- नागवंश
- हरिवंश
- बाली के हिन्दुओं में भी वंश चलते हैं (जैसे त्रिवंग्स, द्विजाति, आदि)
जैन धर्म
जैन धर्म का अनपा अलग 'हरिवंश' है।