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लाह प्रथा

लाह प्रथा किसानों द्वारा समूह में फसल कटाई की एक प्रथा है। यह प्रथा राजस्थान के कुछ क्षेत्रों में प्रचलित है। जब कोई किसान बड़े भूभाग में बुआई करता है और फसल पक जाने पर वह अपने परिवार के साथ मिल कर भी फसल की कटाई एक साथ करने में असमर्थ होता है तब क्षेत्र के कुछ किसान मिल कर समूह में फसल की कटाई कर देते हैं, इसे लाह कहा जाता है। जब फसल पर प्राकृतिक या अन्य खतरा पैदा होता है तब भी किसान लाह यानी समूह में मिल कर कटाई करते हैं, ताकि कम समय में या तय समय में अधिक से अधिक कटाई कर फसल को बचाया जा सके।

इतिहास

माना जाता है कि जमींदारी प्रथा के समय किसान जितनी जमीन पर खेती करता था, उतनी जमीन उसकी मानी जाती थी। ऐसे में किसान अधिक जमीन पर खेती करता मगर फसल काटने के समय अकेले एक साथ कटाई करने में असमर्थ होता था, ऐसे में - २०-३० किसान मिल कर फसल काटते थे। जो बाद में लाह-प्रथा कहलाई। आगे चल कर मजदूर न मिलने या मजदूरी अधिक पड़ने पर एक दुसरे की मदद से कटाई जारी रही और यह प्रथा जीवित रही।