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लखा बंणजारा

बाबा लख्खीशा बणजारा ऊर्फ लाखा बंजारा (1580-1680) शूरवीर , महायोद्धा एवं महा दानी थे। दिल्ली स्थित रायसिना, मालचा के वह नायक थे। अपनी मातृभूमि के रक्षा हेतु उन्होंने लोहगढ किल्ला का भी निर्माण किया था, अपने संपूर्ण परिवार का उन्होंने बलिदान दिया था। शाह अर्थात राजा कि उनको उपाधी थी। उनके साथ तीन लाख का घुडस्वार , बैल और हाथी का कारवॉ चलता था। वह बंजारो का महाराजा करके प्रचलित थे। एशिया के सबसे बडे व्यापारी थे। पुरे एशियामे उनके ही हुकुम से व्यापार चलता था। जहॉं उनका काफिला रुकता था, वहॉ बावडी, झिल बनाते थे। वह आज भी मौजूद है, बंजारा झिल, बंजारा बावडी नामसे प्रचलित है। आदिशक्ती की पुजा करते थे। वहॉ आदिशक्ती की स्थापना करते थे, वह 'बंजारा देवी' नामसे आजभी प्रचलित है। सारे बणजारे उनके आदेश से हि व्यापार करते थे और साल मे एकबार सबका बसेरा रायसिना हिल पे होता था। तब सारे बंणजारे सिख कहलाते थे और अपणे गुरु के प्रति श्रद्धा आस्था और प्रेम रखते थे। महाराजा लाखा जी बंजारा के आठ बेटे थे उनमे से सात सिख युद्ध मे शहिद हुये है। लाखाजी के जमाई मानसिंग नायक पंवार यह गुरु गोबिंद जि के दिवान थे और वो भि शहिद हुये है।