राभा सग़राई नृत्य
राभा सग़राई नृत्य , आसाम (भारत ) मैं कृषि एकता का प्रस्तुतीकरण है। यह मोहक नृत्य राभा जनजाति के खूबसूरत लोगों द्वारा किया जाता है जिसमें वह अपनी अपनी संस्कृति की झलक प्रदर्शित करते हैं। नृत्य में संस्कृति और कृषि परंपराओं का समागम होता है और उनके जीवन शैली की झांकी प्रस्तुत की जाती है। यह प्राकृतिक नृत्य विभिन्न मौसम चक्राें के अनुसार किया जाता है जो आगामी फसली मौसम का सूचक होता है। तदनुसार राभा लोग साथ मिलकर एक दूसरे के हाथ में हाथ डालकर पारंपरिक परिधानों में अपनी एकता का प्रदर्शन करते हैं। नृत्य के दौरान ताल के अनुसार ढोल बजाए जाते हैं और वाद्य यंत्रों के साथ सुर मिलाए जाते हैं। मनमोहक स्वर संगति की सामूहिक ध्वनि की गूंज पूरे क्षेत्र में सुनाई पड़ती है। इन गीतों में ग्रामीण कथाओं का समावेश होता है और कृषि कार्य के साथ प्रसन्न रहने का संदेश दिया जाता है। राभा सग़राई नृत्य केवल नृत्य ही नहीं है वरन इसमें सांस्कृतिक विरासत का चित्रण भी किया जाता है जो पीढ़ियाेऺ में हस्तांतरित होता रहता है। इसमें परंपरागत मूल्य और पीढ़ियाेऺ का इतिहास प्रदर्शित होता है। इससे पता चलता है कि यह लोग धरती माता से कितनी आत्मीयता से जुड़े हुए हैं। राभा सग़राई नृत्य खुले आसमान के नीचे किया जाता है यह वे लोग हैं जो प्रत्येक मौसम में आने वाली कठिनाइयों का हर्षो उल्लास से स्वागत करते हैं और अपनी विशिष्ट संस्कृति कि आमिट छाप छोड़ते हैं।
अनुक्रम
•फसल उत्सव और प्रतीकवाद।
•लयबद्ध पैटर्न और उपकरण
•कथात्मक अभिव्यक्तियां
•एकता और सामाजिक जूड़ाव
•पारेषण परंपराएं
•साऺस्कृतिक लचीलापन और चुनौतियां
फसल उत्सव और प्रतीक वाद
राभा सग़राई नृत्य प्रकृति के मौसमीय चक्र से प्रभावित है जिसमें फसल चक्र पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इस नृत्य में ईश्वर और देवताओं की महानता का आभार व्यक्त किया जाता है जो उनके कृषि संबंधित प्रयासों को सार्थकता प्रदान करते हैं।
नृत्य प्रदर्शन
राभा नृत्य के प्रकार
1. संग़राई नृत्य
राभा उत्सव का मुख्य आकर्षण संग़राई नृत्य है जो इस समारोह का दिलऔर आत्मा है। नृत्य करने वाले संगीत की स्वर लहरियों के अनुसार भाव भंगिमायै प्रस्तुत करते हैं और प्रकृति का आभार प्रकट करते हैं। इसमें उनकी एकता प्रदर्शित होती है।
2. बाईखू नृत्य
बाईखू नृत्य अत्यंत मनमोहक शक्ति प्रदर्शन नृत्य है। इसमें कई दैनिक क्रियाकलापों को लयबद् तरीके से निहित किया जाता है जैसे खेती,मत्स्य पालन और कला कौशल। इससे पता चलता है कि राभा लोग किस प्रकार एक दूसरे के साथ मजबूती से जुड़े हुए हैं।
3. बिहू नृत्य'
बिहू नृत्य बिहू त्योहार के दौरान किया जाता है। नृत्य करने वाले रंग-बिरंगे कपड़े पहनते हैं जो असम की जीवंत संस्कृति का प्रतीक है और सर्दियों के मौसम के बाद बसंत ऋतु के आगमन को चिन्हित करता है।
4. रंगधाली नृत्य
रंगधाली नृत्य मैं पौराणिक कथाओं का चित्रण किया जाता है और राभा के लोकगीतों का उत्साहवर्धक गायन किया जाता है। इसमें जनजाति की कलात्मक संवेदनाओं का पथ प्रदर्शन किया जाता है और पीडियोऺ से चली आ रही कथाओं का मनमोहक प्रदर्शन किया जाता है।
5. सुआल नृत्य
सुआल नृत्य मैं हाथ पैरों की भाव भंगिमाॵ से राभा जनजाति की कलात्मक शक्तियों का चित्रण किया जाता है। इस नृत्य में प्रकृति को कल से जोड़ते हुए पक्षियों और जीव जंतुओं के क्रियाकलापों को प्रदर्शित किया जाता है।
6. बागरूमबा नृत्य
बागरूमबा नृत्य मैं परंपरागत वस्त्राे से सजे धजे नर्तक,जीवन के प्रति भाव भंगिमाऺये प्रस्तुत करते हैं और लोगों को उनकी सांस्कृतिक विरासत से जुड़ने के लिए प्रेरित करते हैं।
7. वाऺग्ला नृत्य
वाऺग्ला नृत्य मैं नर्तक एक घेरा बनाते हैं और ढोल की थाप पर नृत्य करते हुए अपने पूर्वजों और देवताओं का स्तुति गान करते हैं। भूमि और दैवी शक्तियों को संयोजित करते हुए नर्तक प्रार्थना करते हैं।
राभा सग़राई नृत्य:ताल पद्धतियां तथा संगीत उपकरण
राभा सग़राई नृत्य,परंपरागत संगीत उपकरणाेऺ की ताल पर आधारित होता है।ढोल की गूंज और टाका (हाथ में पकड़ कर बजाए जाने वाला उपकरण) की धुन तथा पेपा (परंपरागत बांसुरी) की धुन का समन्वय इस नृत्य में देखा जा सकता है।
कथात्मक विवरण
नृत्य के आगे बढ़ने के साथ-साथ भाव भंगीमाओं तथा स्वर लहरियों में जनजातीय जीवन, प्रकृति की सुंदरता, बीज बोने और फसल काटने की कथाओं का वर्णन किया जाता है। नृत्य जीवंत होता जाता है जिसमें राभा समुदाय की कृषि-जीवन पद्धति,जय विजय तथा स्थानीय प्रतिबद्धता का चित्रण किया जाता है।
एकता तथा सामुदायिक प्रतिबद्धता
सांस्कृतिक महत्व के साथ-साथ राभा नृत्य में समुदाय के प्रति निष्ठा प्रदर्शित करी जाती है। इसमें व्यावसायिक मूल्य, साऺस्कृतिक प्रतिबद्धता तथा एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के लिए ज्ञान का प्रचार किया जाता है। नृत्य में प्राय: कथा वाचन और अनौपचारिक विचार विमर्श शामिल हो जाता है जो इतिहास के साथ मिलकर समुदाय को शक्तिशाली बनाने में सहायक होता है।
मौखिक परंपराएं
राभा सग़राई नृत्य मौखिक परंपराओं से आगे बढ़ता है जिसमें बुजुर्ग पीढ़ी द्वारा युवा पीढ़ी को गीतोऺ, नृत्याेऺ, कहानियाेऺ तथा हाव भाव की शिक्षा दी जाती है जो उनकी परंपराओं को परिलक्षित करती है।
अनुकूल क्षमता तथा चुनौतियां
आधुनिक प्रभावों के कारण राभा समुदाय को अपनी संस्कृति तथा अपनी परंपराओं को जीवित रखने के लिए चुनौतियों और कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। राभा सग़राई नृत्य तथा राभा जीवन शैली को जीवित रखनेऺ और आगे बढ़ाने के लिए मानव विज्ञानियाैऺ तथा सांस्कृतिक उत्थानकर्ताओं द्वारा प्रयास किया जा रहे हैं।
संदर्भ[1]
- ↑ "rabha dance". indianetzone.com. अभिगमन तिथि 30 अक्टूबर 2023.
- ↑ "folk dances of rabhas". bipulrabha.blogspot. अभिगमन तिथि 30 अक्टूबर 2023.