राजिम कुम्भ २०१६
राजिम कुम्भ प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला कुम्भ का मेला है, इस वर्ष राजिम कुम्भ मेला का आयोजन माघ पूर्णिमा २२ फ़रवरी से लेकर ०७ मार्च तक होने जा रहा है, राजिम कुम्भ का अपनी एक अलग ही तरह का पहचान है, राजिम कुम्भ में प्रतिवर्ष हजारो की संख्या में धर्मगुरु ,साधू, संत, महात्मा, मार्गदर्शक तथा विभिन्न पंथ के मुख्या सम्मिलित होते है, इनके अलावा अंचल से लाखो की संख्या में श्रद्धालु राजिम कुम्भ में सम्मलित होते है, राजिम कुम्भ में माघ पूर्णिमा से ही संगम पर स्नान प्रारंभ हो जाता है,
आयोजन
राजिम कुम्भ में प्रतिदिन महानदी मैया की गंगा आरती का आयोजन होता है जिस देखने श्रद्धालु बड़ी संख्या में उपस्थित होते है, सांस्कृतिक संध्या के रूप में प्रतिदिन मुख्य मंच पर लोक रंग से संबंधित कार्यक्रम, भजन, सुगम संगीत आदि का भी आयोजन होता है, प्रतिवर्ष ७ दिनों का विरत संत समागम कभी आयोजन कुम्भ में होता है, जिसमे बड़ी संख्या में देश भर से साहू संत एकत्र होते है, मेले में मनोरंजन के लिए मीनाबाज़ार, सर्कस, झुला, तथा तरह तरह की दुकाने भी लगती है,
राजिम तीन नदिया का संगम है, यह तीन नदिया मुख्य रूप से क्रमशः पैरी, सोढुर तहत महानदी का संगम स्थल है, इसे छत्तीसगढ़ का प्रयाग के नाम से भी जाना जाता है, राजिम कुम्भ का प्राचीन अस्तित्व प्रारंभ में एक पुन्नी मेला की तरह ही था, प्रारंभ में १५ दिनों का मेला लगता था, धीरे से यहाँ राज्य सरकार के प्रयास से राजिम लोचन महोत्सव की शुरुआत हुई , जिसे वर्तमान में राजिम कुभ के नाम से जाना जाता है,
मुख्य मंदिर
राजिम में भगवान विष्णु के अवतार श्री राजीव लोचन जी महराज का भव्य मंदिर है, यह प्राचीन मंदिर अपने प्राचीनतम कलाओ के लिए भी प्रसिद्ध है, राजिम में संगम पर कुलेश्वर नाथ जी का मंदिर स्थित है, यह पास ही लोमश ऋषि का आश्रम भी स्थित है, इसके अलावा यह भगवान श्री राम जी का प्राचीन मंदिर स्थित है, ऐसी मान्यता है की स्वयं भगवान श्री राम ने १४ वर्ष के वन्वश में कुछ दिन यह बिताये है,