रतले जलविद्युत संयंत्र
| रतले बाँध | |
|---|---|
भारत में रतले बाँध की स्थिति | |
| राष्ट्र | भारत |
| स्थान | द्राबशाला, किश्तवाड़ जिला, जम्मू और कश्मीर |
| निर्देशांक | 33°10′37.55″N 75°48′29.53″E / 33.1770972°N 75.8082028°Eनिर्देशांक: 33°10′37.55″N 75°48′29.53″E / 33.1770972°N 75.8082028°E |
| उद्देश्य | जलविद्युत ऊर्जा |
| स्थिति | UC Investment= 5282 करोड़ रूपये |
| निर्माण आरम्भ | 2021 |
| आरम्भ तिथि | 2026 (अनुमानित) |
| स्वामित्व | NHPC लिमिटेड |
| बाँध एवं उत्प्लव मार्ग | |
| प्रकार | गुरुत्व बांध |
| घेराव | चेनाब नदी |
| ~ऊँचाई | 133 मी॰ (436 फीट) |
| जलाशय | |
| सक्रिय क्षमता | 10,000,000 मी3 (8,100 acre⋅ft) |
| रतले जलविद्युत संयन्त्र | |
| निर्देशांक | 33°9′9.21″N 75°45′05.68″E / 33.1525583°N 75.7515778°E |
| प्रकार | 4 x 205 मेगावाट्, 1 x 30 MW फ्रांसिस टरबाइन |
| Hydraulic head | 100.39 मी॰ (329.4 फीट) |
| स्थापित क्षमता | 850 MW |
रतले जलविद्युत संयंत्र चेनाब नदी पर बन रहा एक जलविद्युत संयन्त्र है। यह जम्मू और कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में है,
इस परियोजना में 133 मीटर ऊँचा एक गुरुत्व बाँध बनाया जाएगा तथा एक-दूसरे से सटे दो विद्युत संयन्त्र बनेंगे। इसके मुख्य संयन्त्र में 205 मेगावाट की चार फ्रांसिस टर्बाइन लगेंगी जबकि इसके सहायक संयन्त्र में 30 मेगावाट की एक फ्रांसिस टर्बाइन लगेगी। इस प्रकार दोनों संयन्त्रों की कुल विद्युत-उत्पादन क्षमता 850 मेगावाट होगी।
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 20 जनवरी, 2021 को इसके लिए 5281.94 करोड़ रुपये के निवेश को मंजूरी प्रदान की थी।[1] यह निवेश राष्ट्रीय जल विद्युत निगम (एनएचपीसी) और जम्मू-कश्मीर राज्य विद्युत विकास निगम लिमिटेड (जेकेएसपीडीसी) की क्रमशः 51% और 49% हिस्सेदारी वाली एक नई ‘संयुक्त उद्यम कंपनी’ द्वारा किया जाएगा। इसके पहले 25 जून 2013 को तत्कालीन प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह ने इसके बाँध का उद्घाटन किया था।
रतले पनबिजली परियोजना को 60 माह की अवधि के भीतर चालू किया जाएगा। इस परियोजना से उत्पन्न बिजली ग्रिड को संतुलित रखने में सहायक होगी और इसके साथ ही इससे बिजली आपूर्ति की स्थिति में सुधार होगा। इसके अलावा, केंद्र -शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर 5289 करोड़ रुपये की मुफ्त बिजली पाने के साथ-साथ 40 वर्षों के परियोजना जीवन चक्र के दौरान रतले पनबिजली परियोजना से 9581 करोड़ रुपये के जल उपयोग शुल्क के माध्यम से लाभान्वित होगा।[2]