रक्त धातु
आयुर्वेद में रक्त कोशिकाओं एवं इनके परिसंचरण का नाम रक्त धातु है। चरकसंहिता के अनुसार रक्त धातु की कमी होने पर शरीर की त्वचा मोटी, फटी हुई एवं कांतिहीन हो जाती है।
रक्त धातु के सामान्य कार्यों का सारांश
- कुष्ठ
- विसर्प
- पीडिका
- रक्तपित्त
- तिल्ली
- मुखपाक
- रक्त प्रदर
- गुदा का पकना
- शिश्नेंद्रिय का पकना
- गुल्म
- दद्रु
- तिल कालक
- विप्लव
- व्यंग्य
- कामला
- पामा
- नीलिका
- विद्रधि
- चर्मदल
- श्वित्र, सफेद दाग
- कोढ
- कांति मंडल
इन्हें भी देखें
इन्हें भी देखें
- रक्तधातु (अखिल विश्व गायत्री परिवार)