सामग्री पर जाएँ

योनिशोथ

Vaginitis
वर्गीकरण व बाहरी संसाधन
आईसीडी-१०N76.0-N76.1
आईसीडी-616.1
रोग डाटाबेस14017
ई-मेडिसिनmed/3369  med/2358 emerg/631 emerg/639
एमईएसएचD014627

किसी भी कारण से महिलाओं को योनि में होनी वाली सूजन को योनिशोथ (Vaginitis) कहते है। इसे योनिपाक या योनिप्रदाह भी कहा जाता है। इस रोग में योनि के भीतर श्लेष्मिक कला सूज कर लाल हो जाती है जिससे इसके शुष्कता बढ़ जाती है एवं जलन के साथ पीड़ा होती है जो उठने बैठने से बढ़ जाती है। योनिशोथ होने पर योनि स्राव, खुजली और दर्द हो सकता है और अक्सर यह चिडचिड़ापन और योनिमुख के संक्रमण के कारण होता है।

योनिशोथ आमतौर पर संक्रमण के कारण होता है। प्राय: 90% स्त्रियों में यह रोग पाया जाता है, इस कारण सामान्यत: उन्हें निम्न परेशानियों का सामना करना पड़ता है]

लक्षण

औरत इस अवस्था में खुजली, अथवा जलन और कई बार योनी स्त्राव भी महसूस करती है। सामान्यतया, योनिशोथ (योनि का प्रदाह) के निम्न लक्षण हैं:

  • जलन और / या जननांग क्षेत्र में खुजली
  • अतिरिक्त प्रतिरक्षा कोशिकाओं की उपस्थिति के कारण लघु भगोष्ठ, बृहद् भगोष्ठ और पेरिनिअल भाग में सूजन (जलन, लालिमा और सूजन) होना.
  • योनि स्त्राव
  • अत्यधिक गन्दी योनि गंध
  • पेशाब करते समय असुविधा या जलन होना.
  • संभोग के दौरान दर्द/जलन

कारण

वुलवोवैजिनाइटिस सभी उम्र की महिलाओं को प्रभावित करती है और ये बहुत सामान्य है। योनिशोथ के कुछ विशिष्ट प्रकार हैं:

संक्रमण

90% प्रजनन आयु की महिलाओं में संक्रामक योनिशोथ होता है और यह लगभग तीन संक्रमण के संयोजन से होता है।

  • कैंडिडिआसिस :कैंडीडा एल्बीकैंस नामक यीस्ट के कारण योनिशोथ होता है।
  • जीवाणु संबंधी स्त्रीजननांग रोग: गर्द्नेरेल्ला नाम के जीवाणु के कारण योनिशोथ होता है।
  • ट्रायकॉमोनास वैजाइनालिस: परजीविता एककोशी जीव ट्रायकॉमोनास वजिनालिस के कारण भी यह रोग होता है।

क्लामीडिया, सूजाक, माइकोप्लाज़्मा, दाद, कैंपीलोबेक्टर, अनुचित स्वच्छता और कुछ परजीवियों के कारण भी यह रोग आमतौर पर होता है।

योनि संक्रमण होने के विभिन्न देशों में भिन्न भिन्न कारण व्याप्त हैं। (यह कभी कभी मिश्रित रोगोत्‍पत्‍ति विज्ञान के अंतर्गत आता है।) वास्तव में, जब केवल एक कारण की चिकित्सा करते हैं, तो दूसरे विकृतिजन प्रतिरोध उत्त्पन करते हैं और अपनी पुनरावृत्ति कर लेते हैं। इसलिए एक सटीक निदान पाना और व्यापक स्पेक्ट्रम विरोधी संक्रामक से उसका इलाज करना महत्वपूर्ण हो जाता है (अक्सर प्रतिकूल प्रभाव उत्प्रेरण के साथ इलाज करना लाभदायक होता है).

पूर्व वयस्‍कता की आयु पर पहुंची हुई लड़कियों को भी योनिशोथ की शिकायत हो सकती है, भले ही इसके कारण महिलाओ में अलग-अलग हों।

  • बैक्टीरियल स्त्रीजननांग रोग: स्ट्रैपटोकोकस नाम के जीवाणु के कारण योनिशोथ होता है।
  • अनुचित स्वच्छता के कारण भी जीवाणु आ सकते है, अथवा गुदा क्षेत्र से योनि क्षेत्र में अतिसंवेदनशीलता आ सकती है।

किशोर लडकियों में पीएच (pH) कैंडीडा एल्बीकैंस की वृद्धि उपकारी नहीं होती है, इसलिए यीस्ट उनके अन्दर संक्रामक रोग को नहीं फैला सकता है।

हार्मोनल

हार्मोनल योनीशोथ और शोषग्रस्‍त योनीशोथ महिलाओं में अक्सर रजोनिवृत्ति के पश्‍चात या प्रसवोत्तर पाया जाता है। कुछ स्थितियों में, युवतियां इससे किशोर अवस्था के पहले भी ग्रसित हो जाती हैं। इन स्थितियों में, योनी को हमेशा मिलने वाली एस्ट्रोजन संबंधी सहायता सामान्य से कम हो जाती है।

एलर्जी / जलन

उत्तेजित योनीशोथ अक्सर कंडोम से एलर्जी, शुक्राणुनाशकों, साबुन, सुगंधी, डूश, लूब्रिकेंट अथवा वीर्य के कारण हो सकता है। यह गर्म टब, घर्षण, टैम्पोन, तथा अन्य सामयिक कारणों से भी हो सकता है।

बाहरी पदार्थ

बाहरी पदार्थ (सामान्यतया टैम्पोन या कंडोम में रूके पदार्थ) के कारण अत्यंत बदबूदार योनिरस बाहर निकलता है। उपचार करने के लिए इसे बाहर निकालना जरूरी है, जिसके लिए रिंग फ़ॉरसेप्स अतिपयोगी है। इसके बाद आम तौर पर उपचार की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

एसटीडी (STD) की भूमिका

यौन संचारित रोग (एसटीडी) योनि मुक्ति/योनिरस का एक कारण हो सकता है। जब एक यौन सक्रिय महिला को योनिरस या योनि मुक्ति की शिकायत हो, तो गर्भाशय ग्रीवा के असामान्य होने पर भी क्लामीडिया और सूजाक का सामान्य परीक्षण किया जाना आवश्यक है।

मधुमेह

सामान्य महिलाओं की तुलना में मधुमेह से पीड़ित महिलाओं को योनिशोथ के संक्रमण खतरा अधिक होता है, क्योंकि मधुमेह इसके संक्रमण के प्रमुख कारणों में से एक है।

रोग की पहचान

निदान ज्यादातर माइक्रोस्कोपी के साथ बनाया जाता है (ज्यादातर गीली योनी के उभार द्वारा और योनी रस के संवर्ध से, शारीरिक और सावधानी पूर्वक लिये हुए इतिहास के ख़तम होने के बाद.) रंग, स्थिरता, अम्लता और योनी मुक्ति की अन्य विशेषताओं कारणात्मक एजेंट की पेशीनगोई हो शक्ति है। रोगों के अंतर्राष्ट्रीय सांख्यिकी वर्गीकरण और संबंधित स्वास्थ्य समस्याएँ के अनुसार योनी शोथ को कोड दिए गए हैं। जिसके हिसाब से योनी रोग के कारण निम्नालिखितित है।..

स्थिति/शर्त विवरण pH
कैंडीडा के कारण योनिशोथ सामान्यतः खमीर संक्रमण के एक रूप के कारण होता है, कैंडिडिआसिस एक फंगल संक्रमण है जो आम तौर पर सफेद, पानी की तरह, पनीर की तरह योनी रस मुक्त करता है। यह योनी रस योनी और आसपास के त्वचा को अत्यंत संवेदनशील कर देता है। कम (4.0-4.5)
शोषग्रस्त योनि-प्रदाह (या वृद्धावस्था योनिशोथ) आमतौर पर कम योनी रस और कोइ गंध रहित, सूखी योनि और दर्दनाक संभोग. ये लक्षण आमतौर पर कम हार्मोन के कारण अथवा रजोनिवृत्ति के दौरान और बाद में पैदा होते है।
बैक्टीरियल योनी का प्रदाह गर्द्नेरेल्ला नाम के जीवाणु के कारण मछली की तरह खुशबु वाला योनिशोथ होता है। यह खुजली और जलन के साथ जुड़ा हुआ है, लेकिन संभोग के दौरान बहोत दर्द करता है। बुलंद
ट्रायकॉमोनास वैजाइनालिस एक मछली की तरह गंध के साथ एक विपुल योनी मुक्ति रस पैदा कर सकता है, आम तौर पर पेशाब पर दर्द, दर्दनाक संभोग और बाहरी जननांगों की सूजन ये इसके लक्षण है। बुलंद (5.0-6.0)
दाद आमतौर पर जननांग क्षेत्र पर पानी के फफोले, के रूप में संक्रमण के एक सप्ताह बाद पैदा होता है। वहाँ कोमलता, ग्रंथियों में सुजन और बुखार जैसे लक्षण होता है। यह पानी फफोले बेहद दर्दनाक रहे हैं और वोह तिन सप्ताह में मिट जाते है। हालांकि, दाद आमतौर पर एक बाहरी संक्रमण है और योनिशोथ की श्रेणी में नहीं आते है।

जटिलताएं

  • लगातार परेशानी
  • ऊपरी त्वचा में संक्रमण (खुजली करने से)
  • सूजाक और कैंडीडा संक्रमण जैसे कारणात्मक जटिलताए

उपचार

संक्रमण के कारण उचित इलाज को निर्धारित करता है। इस के अन्दर मौखिक या सामयिक एंटीबायोटिक दवाओं और/अथवा फंगसरोधी क्रीम, एंटीबायोटिक क्रीमअथवा या इसी तरह की दवाओं शामिल हो सकते हैं इस क्रीम के अन्दर कार्टिसोन होता है जो जलन के कुछ राहत देने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। अगर एक एलर्जी प्रतिक्रिया शामिल है, तो एक प्रतिहिस्टामिन भी निर्धारित किया जा सकता है। महिलाओं जिस के अन्दर जलन और सुजन एस्ट्रोजन के निम्न स्तर के कारण होता है (रजोनिवृत्ति के पश्‍चात), तो उनको एस्ट्रोजन क्रीम भी दी जा सकती है।

अक्सर, एक विरोधी संक्रामक उपचार के बाद, योनि फ्लोरा परेशां हो जाता है। उसका कारण ये हैं कि जीवित सुक्षमाणु उनकी दृढ़ता खो देते है (रोगजनकों के खिलाफ शरीरवृत्तिक अवरोध) और योनिक अधिच्छद कम हो जाता है (रोगजनकों के खिलाफ शरीरवृत्तिक अवरोध) इसके परिणाम के रूप में, संक्रमण के खिलाफ इलाज के बाद, प्राकृतिक योनी फ्लोरा का मजबूत बनना जो की लैक्टोबैसिलस की स्थानीय प्रबंध व्यवस्था और हार्मोन के संभावित कम खुराक (उ.दा.एस्ट्रियॉल) से उपकला कोशिकाएं का आत्मपुनर्जनन होता है और उनके प्रसार में वृद्धि होई है।[1]

इन्हें भी देखें

  • प्रत्युपयाजक स्थितियों की सूची

सन्दर्भ

  1. Pirotta M; एवं अन्य (2004). "Effect of lactobacillus in preventing post-antibiotic vulvovaginal candidiasis: a randomised controlled trial". BMJ. 329 (7465) (Aug 27): 548. PMID 15333452. डीओआइ:10.1136/bmj.38210.494977.DE. पी॰एम॰सी॰ 516107. Explicit use of et al. in: |author= (मदद)

अतिरिक्त पाठ्य सामग्री

इन्हें भी देखें

  • शोषग्रस्त योनि-प्रदाह
  • टोनी और उसकी आसपास के अंग का स्वास्थ्य

बाहरी कड़ियाँ