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यूरिया

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यूरिया
आईयूपीएसी नामयूरिया (Urea)
अन्य नाम Carbamide, carbonyl diamide, carbonyldiamine, diaminomethanal, diaminomethanone
पहचान आइडेन्टिफायर्स
सी.ए.एस संख्या[57-13-6][CAS]
पबकैम 1176
ड्रग बैंकDB03904
केईजीजीD00023
रासा.ई.बी.आई16199
RTECS numberYR6250000
SMILES
InChI
कैमस्पाइडर आई.डी 1143
गुण
रासायनिक सूत्रCH4N2O
मोलर द्रव्यमान60.06 g mol−1
दिखावट White solid
घनत्व 1.32 g/cm3
गलनांक

133 to 135 °C, एक्स्प्रेशन त्रुटि: अज्ञात शब्द "to"। K, एक्स्प्रेशन त्रुटि: अज्ञात शब्द "to"। °F

जल में घुलनशीलता1079 g/L (20 °C)
1670 g/L (40 °C)
2510 g/L (60 °C)
4000 g/L (80 °C)
 घुलनशीलता500 g/L glycerol,[1] 50g/L ethanol
Basicity (pKb) pKBH+ = 0.18[2]
ढांचा
Dipole moment4.56 D
खतरा
स्फुरांक (फ्लैश पॉइन्ट) Non-flammable
एलडी५०8500 mg/kg (oral, rat)
जहां दिया है वहां के अलावा,
ये आंकड़े पदार्थ की मानक स्थिति (२५ °से, १०० कि.पा के अनुसार हैं।


यूरिया (Urea या carbamide) एक कार्बनिक यौगिक है जिसका रासायनिक सूत्र (NH2)2CO होता है। कार्बनिक रसायन के क्षेत्र में इसे कार्बामाइड भी कहा जाता है। यह एक रंगहीन, गन्धहीन, सफेद, रवेदार जहरीला ठोस पदार्थ है। यह जल में अति विलेय है। यह स्तनपायी और सरीसृप प्राणियों के मूत्र में पाया जाता है। कृषि में नाइट्रोजनयुक्त रासायनिक खाद के रूप में इसका उपयोग होता है। यूरिया को सर्वप्रथम १७७३ में मूत्र में फ्रेंच वैज्ञानिक हिलेरी राउले ने खोजा था परन्तु कृत्रिम विधि से सबसे पहले यूरिया बनाने का श्रेय जर्मन वैज्ञानिक वोहलर को जाता है। इन्होंने सिल्वर आइसोसाइनेट से यूरिया का निर्माण किया तथा स्वीडेन के वैज्ञानिक बर्जेलियस के एक पत्र लिखा कि मैंने वृक्क (किडनी) की सहायता लिए बिना कृत्रिम विधि से यूरिया बना लिया है। उस समय पूरी दुनिया में बर्जेलियस का सिद्धान्त माना जाता था कि यूरिया जैसे कार्बनिक यौगिक सजीवों के शरीर के बाहर बन ही नहीं सकते तथा इनको बनाने के लिए प्राण शक्ति की आवश्यकता होती है।

AgNCO (सिल्वर आइसोसाइनेट) + NH4Cl → (NH2)2CO (यूरिया) + AgCl

बड़े पैमाने पर यूरिया का उत्पादन द्रव अमोनिया तथा द्रव कार्बन डाई-आक्साइड की प्रतिक्रिया से होता है।

यूरिया का उपयोग मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में होता है। इसका प्रयोग वाहनों के प्रदूषण नियंत्रक के रूप में भी किया जाता है। यूरिया-फार्मल्डिहाइड, रेंजिन, प्लास्टिक एवं हाइड्राजिन बनाने में इसका उपयोग किया जाता है। इससे यूरिया-स्टीबामिन नामक काला-जार की दवा बनती है। वेरोनल नामक नींद की दवा बनाने में उसका उपयोग किया जाता है। सेडेटिव के रूप में उपयोग होने वाली दवाओं के बनाने में भी इसका उपयोग किया जाता है।

उत्पादन

साल २००८-२००९ में भारत में यूरिया का उत्पादन करीब दो करोड़ टन रहा था जबकि वास्तविक खपत करीब २.४ करोड़ टन थी। ४० लाख टन की अतिरिक्त जरूरत को यूरिया के आयात के जरिए पूरा किया गया था। लेकिन घरेलू उर्वरक कंपनियां अगले चार साल में अपनी यूरिया उत्पादन क्षमता को बढ़ाने पर पांच से छह अरब डॉलर का निवेश कर सकती हैं, जिससे देश की यूरिया उत्पादन क्षमता में ६० लाख टन की बढ़ोतरी होने का अनुमान है। यूरिया उत्पादन क्षमता में विस्तार के बाद भारत यूरिया आयातक के बजाय निर्यात करने वाले देश में तब्दील हो जाएगा।[3]

सन्दर्भ

  1. "Solubility of Various Compounds in Glycerine" (PDF). msdssearch.dow.com. मूल (PDF) से 13 अप्रैल 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 जून 2020.
  2. Williams, R. (24 अक्टूबर 2001). "pKa Data" (PDF). मूल (PDF) से 2 जून 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 नवंबर 2009.
  3. "उर्वरक फर्म बढ़ाएंगी अपनी यूरिया उत्पादन क्षमता". मूल से 8 मई 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १५ मई २००९. |access-date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)