म्लेच्छ
म्लेच्छ प्राचीन भारत में दूसरे देशों से आये हुए विद्याहीन पशुतुल्य लोगों को कहते थे जो प्राय पूर्व के रेगिस्तानी क्षेत्रों की सभ्यता से संबंध रखते थे। शुक्रनीतिसार में शुक्राचार्य का कथन है-
- त्यक्तस्वधर्माचरणा निर्घृणा: परपीडका: ।
- चण्डाश्चहिंसका नित्यं म्लेच्छास्ते ह्यविवेकिन: ॥ ४४ ॥
- (अर्थ- जिन्होंने अपने धर्म का आचरण करना छोड़ दिया हो, जो निर्घृण हैं, दूसरों को कष्ट पहुँचाते हैं, क्रोध करते हैं, नित्य हिंसा करते हैं, अविवेकी हैं - वे म्लेच्छ हैं।)