मोहम्मद अली रजाई
मुहम्मद अली रजाई (फ़ारसी: محمدعلی رجایی; जन्म: १५ जून १९३३; देहांत: ३० अगस्त १९८१) ईरान के दूसरे राष्ट्रपति थे जिन्होनें २ से ३० अगस्त तक राष्ट्रपति के ओहदे पर काम किया। इस से पहले वे अबोल-हसन बनि-सद्र के नीचे प्रधान मंत्री रह चुके थे। ३० अगस्त १९८१ को उनपर एक जानलेवा हमला हुआ जिसमें वे और उनके प्रधान मंत्री मुहम्मद-जवाद बाहोनर दोनों मारे गए। जून १९८१ में बनिसद्र को राष्ट्रपति-पद से बेदख़ल कर दिया गया था जिस से देशभर में रोष फैला। इस माहौल में मोजाहेदीन-ए-ख़ल्क़ नामक संगठन (जो ईरान की वर्तमान इस्लामी सरकार को हटाकर मार्क्सवाद लाना चाहता है) ने अपने हज़ारों समर्थकों के साथ एक विद्रोह आयोजित किया। कम-से-कम १०० राजनैतिक नेता इस विद्रोह में मारे गए, जिनमें रजाई शामिल थे।[1]
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ The Persian Gulf War: lessons for strategy, law, and diplomacy, Christopher C. Joyner, Greenwood Publishing Group, 1990, ISBN 978-0-313-26710-9, ... Following the impeachment and dismissal from office of President Bani- Sadr in June 1981, thousands of youthful Mojahedin supporters staged an armed uprising against the government. The regime survived this major challenge, but the country paid a high human cost: at least 100 top leaders, including Rajai, were assassinated; hundreds of members of the Revolutionary Guards were killed; and at least 8000 antiregime youths were executed or killed in street battles ...