सामग्री पर जाएँ

मेर

मेर
મેર, મહેર,मिहिर
मेर रास (मणियारो)(મણિયારો)
कुल जनसंख्या
250,000 (1980)
विशेष निवासक्षेत्र
पोरबन्दर जिला, जूनागढ़ जिला, देवभूमि द्वारका जिला, जामनगर जिला, यूरोप(हाड़ौती,मेरवाडा राजस्थान) गुना एमपी,देहरादून(pachuwadun) हल्द्वानी उत्राखंड
भाषाएँ
गुजराती
धर्म
हिन्दू धर्म
सम्बन्धित सजातीय समूह
गुजराती लोग

मेर, महेर अथवा मेहर (गुजराती: મેર,मैत्रक,मेढ़ મહેર,मिहीर,मेहर;) सिंध भारतीय राज्य राजस्थान मध्यप्रदेश उत्तराखंड व गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र की एक क्षत्रिय जाति है। जो प्राचीन काल में शासकीय जाति रही है। जिसके प्रमाण बही,भाटो,अभिलेखों, शिलालेख,पुस्तकों में पा जाते है। मेर वंश की अनेक खांपो के योध्याओं ने अपने नाम से नगरों जैसलमेर, अजमेर, कुंभलमेर, सातलमेर,बहाड़मेर ,गादियामेर,मेरमा चाह (मेरो की सती माताओ के चबूतरे बने हुए है।) आदि नगरों की स्थापना की। सोरास्ट्र के शासक मेर सऊसर (सौसर) ने कुमारपाल के सेनापति उदयन को युद्ध में हराया। वर्धनगीरी दुर्ग मेर शासकों का गढ़ था। जिसको राणा लाखा ने राव शेल जी मेर से जीता तथा खंडित होने पर पास ही बदनोर दुर्ग का निर्माण किया। मारवाड़ पाली में कान्हा मेर (जिसके पास २००००पैदल सेना थी) से राठौड़ राव आस्थान ने सत्ता हासिल की।1310 में अडसी मेर ने अलाउद्दीन से धर्म रक्षा युद्ध किया।मेरवाड़ा में चौहान राठौड़ पंवार,चौहान,परिहार,डोडिया,सिसोदिया,सोलंकी, गुहिलोत,परमार, आदि वंश के मेरो ने पड़ोसी राज्य के शासकों,मुगलों,अंग्रजों से स्वंतत्रता की लड़ाई लड़ी और आजाद रहे। लोक मान्यता अनुसार देवमीढ मेर क्षत्रिय थे। लोकमत के अनुसार इन्हें राव लाखन चौहान वंश के बताते हैं।

जय राणा मालदेव केशवाला मेर लीडर ऑफ इंडिया।

[1][2]

सन्दर्भ

  1. दिस्कालकर, डीबी (1941). "Inscriptions of Kathiawad". न्यू इंडियन एंटिक्वेरी. 1: 580 – वाया Archiv.org. The Mahuva inscription of v.s. 1272 speaks of a Meher king ruling at Timbanaka. He was probably a successor of the Meher king Jagaraal, a feudatory of the Caulukya sovereign Bhima II mentioned in the copperplate grant of v.s. 1264 found at Timana and published in the Indian Antiquary Vol. XI p. 337. Another Meher family is mentioned in the Hataspi inscription of v.s. 1386. In modem times the Mehers are found chiefly in the Porbunder State and not in the part of Kathiawad where the abovementioned inscriptions were found.
  2. फिस्चर, एबेर्हार्ड; शाह, हाकु (1970). Rural craftsmen and their work: Equipment and techniques in the Mer village of Ratadi, in Saurashtra India (अंग्रेज़ी में). पालड़ी, अहमदाबाद: नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ डिजाइन. पृ॰ 118.

बाहरी कड़ियाँ