मेटेम्साइकोसिस
मेटेम्साइकोसिस (यूनानी: μετεμψύχωσις) आत्मा के देहान्तरण की प्रक्रिया है। विशेषकर यह मृत्यु के बाद पुनर्जन्म की प्रक्रिया को भी कह सकते हैं। यह शब्द प्राचीन यूनानी दर्शन से व्युत्पन्न हुआ है और आर्थर शोपेनहावर[1], कुर्ट गेडेल, मिर्चेया एलियादे[2] एवं मागदलेना विलाबा[3] जैसे आधुनिक दार्शनिकों द्वारा इसे पुनर्संदर्भित किया गया है। अन्यथा इसके लिए ट्रांसमाइग्रेसन (देहान्तरण) शब्द अधिक उपयुक्त है। यह शब्द जेम्स जॉयस के यूलिसिस में एक प्रमुख भूमिका निभाता है और इसे नीत्शे ने भी बहुत काम में लिया है।[4] इसके अन्य पर्याय के रूप में पैलिंगेनेसिस शब्द काम में लिया जाता है।
यह स्पष्ट नहीं है कि मेटेम्साइकोसिस का सिद्धांत प्राचीन यूनान में कैसे उत्पन्न हुआ, जहाँ यह कभी भी मुख्यधारा की मान्यता नहीं थी। यह मान लेना सबसे आसान है कि पहले के विचार हैं जो कभी ख़त्म नहीं हुए थे और उन्हें धार्मिक और दार्शनिक उद्देश्यों के लिए उपयोग किया गया।
ऑर्फ़िसवाद
मेटेम्साइकोसिस में वैश्वास रखने वाले ऑर्फ़िक धर्म का पहली बार त्राकया में पूर्वोत्तर सीमा से आरम्भ हुआ। इसके संस्थापक प्रसिद्ध त्राकयाई ऑर्फस ने सिखाया कि आत्मा और शरीर एक दूसरे पर एक असमान बंधन से जुड़े हुए हैं। आत्मा दिव्य एवं अमर है और स्वतंत्रता की आकांक्षा रखती है, जबकि शरीर उसे कैदी की तरह बेड़ियों में जकड़ कर रखता है। मृत्यु उस अनुबंध को ख़त्म कर देती है, लेकिन केवल थोड़े समय के बाद मुक्त आत्मा को दूसरा शरीर कैद कर लेता है, क्योंकि जन्म का पहिया लगातार घूमता रहता है। इस प्रकार आत्मा अपनी यात्रा जारी रखती है और मनुष्यों एवं जानवरों के कई शरीरों में घूमती रहती है।
सन्दर्भ
- ↑ Schopenhauer, A: "Parerga und Paralipomena" (Eduard Grisebach edition), On Religion, Section 177
- ↑ Mircea Eliade (1957). The Sacred And The Profane,p. 109.
- ↑ Villaba, Magdalena (1976). "An Interpretation on the Doctrine of Transmigration". Philippiniana Sacra.
- ↑ Lippitt, John; Urpeth, Jim (2000). Nietzsche and the Divine (English में). Clinamen. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-903083-12-3.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
- ↑ "MOMAT Collection(2024.1.23–4.7) (展覧会)". The National Museum of Modern Art, Tokyo (अंग्रेज़ी में). 2024-04-23. अभिगमन तिथि 2024-02-10.