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मुग़ल-ए-आज़म

मुग़ले आज़म
निर्देशकके॰ आसिफ़
लेखक अमन
निर्माता

स्टर्लिंग इन्वेस्टमेंट

कॉर्पोरेशन
अभिनेतादिलीप कुमार,
मधुबाला
संगीतकारनौशाद
प्रदर्शन तिथि
1960
लम्बाई
173 मिनट
देशभारत
भाषाहिन्दी/उर्दू

मुग़ले आज़म हिन्दी भाषा की एक फ़िल्म है जो 5 अगस्त 1960 में प्रदर्शित हुई। यह फ़िल्म हिन्दी सिनेमा इतिहास की सफलतम फ़िल्मों में से है। इसे के॰ आसिफ़ के शानदार निर्देशन, भव्य सेटों, बेहतरीन संगीत के लिये आज भी याद किया जाता है।[1]

संक्षेप

फ़िल्म अकबर के बेटे शहज़ादे सलीम (दिलीप कुमार) और दरबार की एक कनीज़ नादिरा (मधुबाला) के बीच में प्रेम की कहानी दिखाती है। नादिरा को अकबर द्वारा अनारकली का ख़िताब दिया जाता है। फ़िल्म में दिखाया गया है कि सलीम और अनारकली में धीरे-धीरे प्यार हो जाता है और अकबर इससे नाखुश होते हैं। अनारकली को कैदखाने में बंद कर दिया जाता है। सलीम अनारकली को छुड़ाने की नाकाम कोशिश करता है। अकबर अनारकली को कुछ समय बाद रिहा कर देते हैं। सलीम अनारकली से शादी करना चाहता है पर अकबर इसकी इजाज़त नहीं देते। सलीम बगावत की घोषणा करता है। अकबर और सलीम की सेनाओं में जंग होती है और सलीम पकड़ा जाता है। सलीम को बगावत के लिये मौत की सज़ा सुनाई जाती है पर आखिरी पल अकबर का एक मुलाज़िम अनारकली को आता देख तोप का मुँह मोड देता है। इसके बाद अकबर अनारकली को एक बेहोश कर देने वाला पंख देता है जो अनारकली को अपने हिजाब में लगाकर सलीम को बेहोश करना होता है। अनारकली ऐसा करती है। सलीम को ये बताया जाता है कि अनारकली को दीवार में चिनवा दिया गया है पर वास्तव में उसी रात अनारकली और उसकी माँ को राज्य से बाहर भेज दिया जाता है।

चरित्र

मुख्य कलाकार

संगीत

संगीत नौशाद द्वारा दिया गया है। अधिक्तर गीत लता ने गाये हैं।

|सभी नौशाद द्वारा संगीतबद्ध।

क्र॰शीर्षकगायकअवधि
1."मोहे पनघट पे"लता मंगेशकर व समूह04:02
2."प्यार किया तो डरना क्या"लता मंगेशकर व समूह06:21
3."मुहब्बत की झूठी"लता मंगेशकर02:40
4."हमें काश तुमसे मुहब्बत"लता मंगेशकर03:08
5."बेकस पे करम कीजिए"लता मंगेशकर03:52
6."तेरी महफ़िल में"लता मंगेशकर, शमशाद बेगम व समूह05:05
7."ये दिल की लगी"लता मंगेशकर03:50
8."ऐ इश्क़ ये सब दुनियावाले"लता मंगेशकर04:17
9."खुदा निगह्बान"लता मंगेशकर02:52
10."ऐ मुहब्बत जिंदाबाद"मोहम्मद रफ़ी व समूह05:03
11."प्रेम जोगन बनके"उस्ताद बड़े ग़ुलाम आली खाँ05:03
12."शुभ दिन आयो राजदुलारा"उस्ताद बड़े ग़ुलाम आली खाँ02:49
कुल अवधि:49:02

सन्दर्भ

  1. "विवेचनाः 'मुग़ल-ए-आज़म' के असली शहंशाह थे के. आसिफ़".

बाहरी कड़ियाँ