महरौली
महरौली Mehrauli | |
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कुतुब मीनार | |
महरौली दिल्ली में स्थिति | |
निर्देशांक: 28°30′54″N 77°10′37″E / 28.515°N 77.177°Eनिर्देशांक: 28°30′54″N 77°10′37″E / 28.515°N 77.177°E | |
देश | भारत |
प्रान्त | दिल्ली |
ज़िला | दक्षिण पश्चिम दिल्ली ज़िला |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | हिन्दी, अंग्रेज़ी |
समय मण्डल | भामस (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 110030 |
दूरभाष कोड | 011 |
महरौली (Mehrauli) भारत के दिल्ली राज्य में नई दिल्ली के दक्षिणी भाग में एक क्षेत्र है।[1][2]
राजनीति
महरौली दिल्ली की विधानसभा में एक निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है। यह क्षेत्र गुड़गांव के करीब और वसंत कुंज के बगल में स्थित है। आम आदमी पार्टी के नरेश यादव महरौली से मौजूदा विधायक हैं।[3]
इतिहास
महरौली उन सात प्राचीन शहरों में से एक है जो दिल्ली की वर्तमान स्थिति को बनाते हैं। महरौली एक संस्कृत शब्द मिहिरावली से लिया गया है। यह उस बस्ती को दर्शाता है जहाँ विक्रमादित्य के दरबार के प्रसिद्ध खगोलशास्त्री वराह-मिहिरा अपने सहायकों, गणितज्ञों और तकनीशियनों के साथ रहते थे। साथ ही विभिन्न मत फारसी वंश से इसके नाम के उद्भव का सुझाव देते हैं।
लाल कोट किले का निर्माण तोमर वंश अनंगपाल प्रथम द्वारा लगभग 731 ईस्वी में किया गया था। इसे 11वीं शताब्दी में अनंगपाल द्वितीय द्वारा विस्तारित किया गया था जिन्होंने अपनी राजधानी को कन्नौज से लाल कोट में स्थानांतरित कर दिया था। तोमरों को 12वीं शताब्दी में चौहानों द्वारा हराया गया था। पृथ्वीराज चौहान ने किले का विस्तार किया और किला राय पिथौरा का निर्माण किया। उन्होंने इस दिल्ली शहर को अपनी राजधानी बनाया। दिल्ली का महरौली शहर पृथ्वीराज चौहान की राजधानी था। वह 1192 में मोहम्मद ग़ोरी द्वारा पराजित हुए और मारे गए। उसने अपने गुलाम क़ुतुब-उद-दीन ऐबक को यहाँ राजयपाल बनाया और अफगानिस्तान लौट गया। इसके बाद 1206 में, मोहम्मद गोरी की मृत्यु के बाद कुतुबुद्दीन ने खुद को दिल्ली के पहले सुल्तान के रूप में विकसित किया। इस प्रकार दिल्ली गुलाम वंश की राजधानी बन गई जो कि उत्तरी भारत पर शासन करने वाले मुस्लिम सुल्तानों का पहला राजवंश बना। महरौली गुलाम वंश की राजधानी रही जिसने 1290 तक शासन किया। खिलजी वंश के दौरान, राजधानी सिरी में स्थानांतरित हो गई।
स्थापत्य
अहिंसा स्थल दिल्ली के महरौली में स्थित एक जैन मंदिर है। मंदिर के मुख्य देवता 24वें और अंतिम तीर्थंकर महावीर हैं।
वास्तुकला का सबसे दृश्यमान हिस्सा कुतुब मीनार है जो प्राचीन हिन्दू और बौद्ध मंदिरों पर बनाया गया था जिसे क़ुतुब-उद-दीन ऐबक ने शुरू किया था। बाद में इसमें इल्तुतमिश और अलाउद्दीन खिलजी द्वारा विकास किया गया था। कुतुब परिसर आज यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है। कुतुब मीनार से सटे मंदिरों के कई स्तंभ हैं लेकिन वे क्षतिग्रस्त स्थिति में हैं। 13वीं शताब्दी के सूफी संत ख्वाजा क़ुतुबुद्दीन बख़्तियार काकी का मकबरा भी कुतुब मीनार परिसर के पास स्थित है।[4] दरगाह परिसर में बाद के मुगल सम्राटों, बहादुर शाह प्रथम, शाह आलम द्वितीय और अकबर द्वितीय की कब्रें हैं। दरगाह के बाईं ओर एक छोटी मस्जिद मोती मस्जिद है जिसे औरंगजेब के बेटे बहादुर शाह प्रथम द्वारा निजी प्रार्थना के लिए बनाया गया था।
बलबन का मक़बरा दिल्ली सल्तनत के गुलाम वंश के शासक बलबन ने यहां 13वीं शताब्दी में निर्माण किया गया था। यह अभी भी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में देखा जा सकता है। आधम ख़ान का मकबरा 1566 में आधम खान की याद में सम्राट अकबर द्वारा बनवाया गया था। महरौली पुरातत्व पार्क 200 एकड़ में फैला है जो कि कुतुब मीनार स्थल से सटा हुआ है एवं इसका 1997 में पुनर्विकास किया गया था।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ "Lonely Planet Rajasthan, Delhi & Agra," Lonely Planet, 2019, ISBN 9781788687416
- ↑ "Delhi a Role Model of Urban India Part 2," Dr. K P Agrawal, Educreation Publishing, 2019
- ↑ "दिल्ली चुनाव: AAP विधायक के काफिले पर हमले में वॉलंटियर की मौत, हिरासत में आरोपी". आज तक. मूल से 12 फ़रवरी 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 जुलाई 2020.
- ↑ "कुतुब मीनार के अलावा भी महरौली में बहुत कुछ". नवभारत टाइम्स. अभिगमन तिथि 23 जुलाई 2020.