मसि ध्वज
मसि ध्वज या स्याही ध्वज (इब्रानी:דֶּגֶל הַדְּיוֹ, देगल हाड्यो), एक हस्तनिर्मित इजरायली ध्वज था, जिसे मार्च 1949 में 1948 के अरब-इजरायल युद्ध के दौरान उम्म रशराश (ऐलात) पर इस्राइली सेना के कब्ज़े के बाद फहराकर इसे इजरायली क्षेत्र घोषित किया था।
इतिहास
5 मार्च 1949 को, इज़राइल ने युद्ध का अंतिम सैन्य-दांव ऑपरेशन उव्दा शुरू किया था। 10 मार्च को, इज़राइली सेना लाल सागर के तट पर स्थित उम्म राशराश तक पहुँच गयी और इस शहर को बिना किसी लड़ाई के अपने कब्ज़े में कर लिया। इस ऑपरेशन में नेगेव ब्रिगेड और गोलानी ब्रिगेड ने भाग लिया था। एक सफेद चादर पर स्याही (मसि) की मदद से उकेरे गये इस ध्वज को नेगेव ब्रिगेड की 8 वीं बटालियन के कंपनी कमांडर, कप्तान अवराम अदन द्वारा फहराया गया था।[1]
इस ध्वज को नेगेव ब्रिगेड कमांडर नहुम सरीग के आदेश पर बनाया गया था, जब यह पता चला कि उस समय ब्रिगेड के पास इजरायल का कोई झंडा नहीं था। सैनिकों को एक चादर मिली, उस पर उन्होने स्याही से दो धारियां बनायीं और एक प्राथमिक चिकित्सा किट पर लगे डेविड के सितारे को फाड़ कर इस चादर पर सीं दिया।[2]
इजरायल के मूर्तिकार बर्नार्ड रेडर द्वारा इस घटना की याद में एक काँसे की मूर्ति बनायी गयी है जो ऐलात में स्थित है।[3] सैनिक मीका पेरी ने मसि ध्वज को फहराने की जो तस्वीर ली थी वो, 1945 में इवो जीमा में ध्वज फहराने की अमेरिकी तस्वीर से काफी मिलती जुलती है।[4]
दीर्घा
- ध्वज दंड थामे सैनिक।
- बर्नार्ड रेडर की स्मारक मूर्तिकला।
- मसि ध्वज का आधुनिक रूप