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मनोज बाजपेयी

मनोज बाजपेयी
जन्म 23 अप्रैल 1969 (1969-04-23) (आयु 55)
नरकटियागंज, पश्चिमी चंपारण, बिहार, भारत
पेशा अभिनेता
जीवनसाथीनेहा (2006–वर्तमान)
बच्चे 1

मनोज बाजपेयी भारतीय हिन्दी फ़िल्म उद्योग, बॉलीवुड, के एक जाने-माने अभिनेता हैं। मनोज प्रयोगकर्मी अभिनेता के रूप में जाने जाते है। उन्होने अपना फ़िल्मी सफ़र सन १९९४ मे शेखर कपूर निर्देशित अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त फ़िल्म बैंडिट क्वीन से शुरु किया था। बॉलीवुड मे उनकी पहचान १९९८ मे राम गोपाल वर्मा निर्देशित फ़िल्म सत्या से बनी। इस फ़िल्म ने मनोज को उस दौर के अभिनेताओं के समकक्ष ला खड़ा किया। इस फ़िल्म के लिये उन्हें सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। सन 2019 के लिए 67 वे फ़िल्म पुरुस्कार हेतु - मनोज बाजपेयी को सर्वश्रेस्ठ अभिनेता का पुरुस्कार दिया गया।

प्रारंभिक जीवन

मनोज बाजपेयी का जन्म २३ अप्रिल १९६९ को बिहार के पश्चिमी चंपारण के छोटे से गांव बेलवा बहुअरी में हुआ था। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा के.आर. हाई स्कूल, बेतिया से हुई। इसके बाद मनोज दिल्ली चले गये और रामजस कॉलेज से अपनी आगे की पढाई की। उन्हे राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय मे तीन कोशिशों के बावजूद प्रवेश नही मिल सका। इसके बाद उन्होने बैरी जॉन के साथ रंगमंच किया। मनोज ने बैरी जॉन के मार्गदर्शन में स्ट्रीट चिल्ड्रेन के साथ काफी काम किया है।

कैरियर

मनोज बाजपेयी ने अपना कैरियर दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले धारावाहिक स्वाभिमान के साथ शुरु किया। इसी धारावाहिक से आशुतोष राणा और रोहित रॉय को भी पहचान मिली। बैंडिट क्वीन की कास्टिंग के दौरान तिग्मांशु धूलिया ने मनोज को पहली बार शेखर कपूर से मिलवाया था। इस फ़िल्म मे मनोज ने डाकू मान सिंह का चरित्र निभाया था। १९९४ मे आयी फ़िल्म द्रोह काल और १९९६ मे आयी दस्तक फ़िल्म मे भी मनोज ने छोटे किरदार निभाये। १९९७ मे मनोज ने महेश भट्ट निर्देशित तमन्ना फ़िल्म की। इसी साल राम गोपाल वर्मा निर्देशित और संजय दत्त अभिनीत फ़िल्म दौड़ मे भी मनोज दिखे। १९९८ मे राम गोपाल वर्मा की फ़िल्म सत्या के बाद मनोज ने कभी वापस मुड़ कर नहीं देखा। इस फ़िल्म मे उनके द्वारा निभाये गये भीखू म्हात्रे के किरदार के लिये उन्हे कई पुरस्कार मिले जिसमे सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार और फ़िल्मफेयर का सर्वोत्तम अभिनेता पुरस्कार (समीक्षक) मुख्य हैं। १९९९ मे आयी फ़िल्म शूल मे उनके किरदार समर प्रताप सिंह के लिये उन्हे फ़िल्मफेयर का सर्वोत्तम अभिनेता पुरस्कार मिला। अमृता प्रीतम के मशहूर उपन्यास 'पिंजर' पर आधारित फ़िल्म पिंजर के लिये उन्हे एक बार फिर राष्ट्रीय पुरस्कार मिला।

२०१० मे आयी प्रकाश झा निर्देशित फ़िल्म राजनीति मे उनके द्वारा निभाये वीरेन्द्र प्रताप उर्फ वीरू भैया ने अभिनय की एक नयी परिभाषा गढ दी। यह किरदार महाभारत के पात्र दुर्योधन से काफी मिलता-जुलता है। २०१२ मे आयी फ़िल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर – भाग 1 मे मनोज सरदार खान के किरदार में दिखे। इस फ़िल्म को और मनोज के किरदार को समीक्षकों की तरफ से खाफी सराहना मिली। मनोज बाजपेयी ने बताया कैसे बने हीरो, बेतिया से दिल्ली-मुंबई का सफर और संघर्ष भी की कहानी जानिए।[1]

प्रमुख फिल्में

वर्षफ़िल्मचरित्रटिप्पणी
2018सत्यमेव जयतेडी°सी°पी° शिवांश
2018अय्यारीकर्नल अभय सिंह
2016ट्रैफ़िककांस्टेबल रामदास गोडबोले
2016बुधिया सिंह - चलाने के लिए जन्मेबिराची दास
2016ट्रैफ़िककांस्टेबल रामदास गोडबोले
2016अलीगढ़रामचंद्र सिरस
2016तांडवफ़िल्मफेयर लघु फ़िल्म पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता
2015जय हिन्दShort film
2015जय हिन्दShort film
2015तेवरGajendar Singh
2014अंजानइमरान भाई
2014महाभारतयुधिष्ठिर (आवाज)
2013महाभारतयुधिष्ठिर (आवाज)
2013सत्याग्रहबलराम सिंह
2013शूटआउट एट वडालाज़ुबैर इम्तिआज़ हँसकर
2013स्पेशल 26सीबीआई अधिकारी वसीम खान
2013समरराजेश अरुणाचलम
2012गैंग्स ऑफ वासेपुर – भाग 1सरदार खान
2012चक्रव्यूहराजन
2011लंकाजसवंत सिसोदिया
2011आरक्षणमिथिलेश सिंह
2010दस तोलाशंकर सुनार
2010राजनीतिवीरेन्द्र प्रताप सिंह "वीरू भैया"
2009जुगाङसंदीप
2009जेलनवाब
2008एसिड फैक्टरीसुल्तान
2008मनी है तो हनी हैलालाभाई भरोङिया
2007दस कहानियाँसाहिल
2005बेवफा
2004हनन
2004वीर-ज़ारा
2003पिंजररशीद
2003एल ओ सी कारगिलग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव
2002रोडबाबू
2001ज़ुबेदामहाराजा विजयेन्द्र सिंह
2001अक्स
2000घातकृष्णा पाटिल
2000फ़िज़ा
1999शूलसमर प्रताप सिंह
1998सत्याभीखू म्हात्रे
1997तमन्नासलीम
1997दौड़
1996संशोधनभँवर
1996दस्तक
1995स्वाभिमानदूरदर्शन धारावाहिक फ़िल्म
1994बैन्डिट क्वीन

2021 द फैमिली मेन (श्रीकांत तिवारी )

नामांकन और पुरस्कार

2019 के लिए 67 वे फ़िल्म पुरुस्कार - मनोज बाजपेयी को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरुस्कार दिया गया है

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ

  1. "मनोज बाजपेयी ने बताया कैसे बने हीरो, बेतिया से दिल्ली-मुंबई का सफर और संघर्ष भी जानिए". प्रभात खबर. अभिगमन तिथि २७ मई २०२४.