मणिप्रवालम्, दक्षिणी भारत में प्रचलित एक साहित्यिक शैली थी जिसका उपयोग मध्यकालीन धार्मिक ग्रन्थों में किया गया था। यह मलयाळम् और संस्कृत का मिश्रण थी।