भारतीय शिक्षा बोर्ड
भारतीय शिक्षा बोर्ड | |
---|---|
आदर्श वाक्य: | आ नो भद्रा क्रतवो यन्तु विश्वतः |
स्थापित | २०२२ |
प्रकार: | बोर्ड |
अध्यक्ष: | स्वामी रामदेव |
अवस्थिति: | भारत |
जालपृष्ठ: | bsb |
भारतीय शिक्षा बोर्ड भारत की एक मान्यताप्राप्त शिक्षा परिषद है जिसे भारत सरकार द्वारा ४ अगस्त २०२२ को पहली बार मान्यता मिली। यह विदेशी और मैकाले प्रणीत शिक्षा पद्धति के विकल्प के रूप में भारत का स्वदेशी शिक्षा बोर्ड है। भारत सरकार ने भारतीय शिक्षा बोर्ड का गठन करके उसके संचालन का दायित्व स्वामी रामदेव के पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट को सौंपा है।[1][2]
भारत की स्वतन्त्रता के 75 वर्ष पूरे होने पर भारत सरकार ने शिक्षा व्यवस्था पर बड़ा बदलाव किया है। शिक्षा में भारतीयता का भाव लाने के लिए सरकार ने भारतीय शिक्षा बोर्ड का गठन किया है और इसके संचालन का जिम्मा स्वामी रामदेव के पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट को सौंपा है। इस पर स्वामी रामदेव ने प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी का आभार जताते हुए कहा है कि आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर केंद्र की मोदी सरकार ने भारतीय शिक्षा बोर्ड का गठन कर ऐतिहासिक कार्य किया है।
- स्वामी रामदेव ने ही की थी पहल
सीबीएसई की तर्ज पर शिक्षा का 'स्वदेशीकरण' करने के लिए एक राष्ट्रीय स्कूल बोर्ड स्थापित करने की पहल स्वामी रामदेव ने ही की थी। वर्ष 2015 में उन्होंने अपने हरिद्वार स्थित वैदिक शिक्षा अनुसंधान संस्थान के माध्यम से एक नया स्कूली शिक्षा बोर्ड शुरू करने का विचार सरकार के समक्ष रखा था। इस स्कूली शिक्षा बोर्ड में 'महर्षि दयानन्द की पुरातन शिक्षा' और आधुनिक शिक्षा का मिश्रण करके भारतीय शिक्षा बोर्ड की स्थापना की जानी थी। हालांकि शिक्षा मंत्रालय ने वर्ष 2016 में यह प्रस्ताव खारिज कर दिया था। इसके बाद भी स्वामी रामदेव प्रयास में लगे रहे मोदी सरकार के मंत्रियों से मिलकर भारतीय शिक्षा बोर्ड के फायदे बताए। जिस पर वर्ष 2019 के आम चुनाव शुरू होने कुछ पहले भारतीय शिक्षा बोर्ड के गठन की प्रक्रिया को पूरा कर लिया। जिससे वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए आदर्श आचार संहिता लागू होने से कुछ घंटे पहले मंजूरी मिल जाए।
- महर्षि संदीपनी राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान की आपत्तियां हुईं खारिज
वहीं शिक्षा मंत्रालय के तहत आने वाले स्वायत्त संगठन महर्षि सांदीपनी राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान, उज्जैन ने इस प्रक्रिया पर आपत्ति जताई थी। बताया गया है कि महर्षि सांदीपनी राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान अपना खुद का भारतीय शिक्षा बोर्ड शुरू करना चाह रहा था। लेकिन सरकार ने उसके द्वारा की गई आपत्तियों को अस्वीकार कर दिया। भारतीय शिक्षा बोर्ड देश का पहला राष्ट्रीय स्कूल बोर्ड माना जाएगा और उसे पाठ्यक्रम तैयार करने, स्कूलों को संबद्ध करने, परीक्षा आयोजित करने और प्रमाण पत्र जारी करके भारतीय पारंपरिक ज्ञान का मानकीकरण करने का अधिकार होगा।
इन्हें भी देखें
- स्वदेशी
- राष्ट्रीय शिक्षा
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति
- राष्ट्रीय शिक्षा दिवस (भारत)
- गुरुकुल शिक्षा पद्धति
- गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय