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भारतीय अपकृत्य विधि

भारतीय अपकृत्य विधि (Tort law in India) अपेक्षाकृत नयी कॉमन ला है।

अपकृत्य का उपयोग कानून में कोई ऐसे कार्य के लिए किया जाता है जिससे कोई क्षति या अपकार हुआ हो। इसकी मुख्य विशेषता यह है कि उसका प्रतिकार क्षतिपूर्ति के द्वारा संभव है है। अपकृत्य, संविध के उल्लंघन से संबंधित नहीं है और साथ ही में वह अपराधिक भी नहीं होता। और इससे

अपकृत्य एक सिविल दोष है जिसका उपचार अपरिनिर्धारित नुकसानी के लिए कॉमन लॉ अनुयोजन है और यह संविदा भंग या कानून भंग या अन्य सामयिक बाधाओं का भंगीकरण नहीं है।

इतिहास

अंग्रेजी विधि प्रणाली में 'टॉर्ट' शब्द का प्रयोग नारमन न्यायाधीशों के द्वारा किया गया था। टॉर्ट का शाब्दिक अर्थ है, तोड़ना या मरोड़ना। अपकृत्य विधि काफी प्राचीन है। इसका उल्लेख अनेक ग्रंथों में हैं जैसे नारद, व्यास, बृहस्पति तथा कात्यायन की स्मृति में।

अपकृत्य व अपराध में अन्तर

अपकृत्य विधिअपराधिक विधि
व्यक्तिगत हितों में या मौलिक अधिकारों में हस्तक्षेप या अतिक्रमणसमाज में हस्तक्षेप
ये मामले सिविल न्यायालय में फाइल होते हैंक्रिमिनल न्यायालय में फाइल होते हैं
इसका उद्देश्य क्षतिपूर्ति दिलाना हैइसका उद्देश्य दण्ड दिलाना है।
परिणामस्वरुप मिलने वाली राशि व्यक्ति को प्राप्त होती हैइसमें परिणाम स्वरूप मिलने वाला अर्थदण्ड राजकोष में जमा होती है।