ब्रह्मवैवर्त पुराण की आलोचना
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ब्रह्मवेवर्त पुराण अन्य पुराणों से बिलकुल अलग है। इसकी भाषा शैली और विषय पुराण साहित्य से बिलकुल मेल नहीं खाते है। महाभारत और भागवत पुराण में वर्णित कृष्ण चरित्र से ये पुराण बिलकुल विपरीत है। खास तौर पर इस पुराण में वर्णित राधा तथा अन्य गोपियों के सौंदर्य तथा राधा कृष्ण की संभोग क्रिया के अश्लील और शर्मनाक वर्णन के कारण ये पुराण सबसे विवादास्पद पुराण है। बहोत से विद्वान इसे प्रक्षिप्त पुराण मानते हैं। इस पुराण में राधा कृष्ण की काम लीलाओं के विवादास्पद वर्णनो में से कुछ अंश
ब्रह्मवेवर्त पुराण, कृष्णजन्म खंड , ६९.१-११
"... भगवान कृष्ण जो रस के स्वाद का आनंद लेने के लिए उत्सुक थे, उन्होंने चतुर राधा के साथ रस के क्षेत्र में चौसठ व्यावहारिक कलाओं द्वारा प्रदान किए गए माप के अनुसार संभोग किया। ' उस समय राधा की कमर और गोलाकार वक्ष कृष्ण के नाखूनों से लगी चोटों से कट गए थे; सिर पर उसके बालों के विभाजन पर सिंदूर का निशान मिट गया था; और उसका शिगमन शिथिल हो गया था। बाद में, आनंद से रोमांचित और आनंद की अधिकता से बेहोश हो रही नग्न राधा को नींद की देवी ने आश्रय दिया।[1]
सन्दर्भ
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सन्दर्भ
सन्दर्भ
- ↑ महर्षि व्यास, कृष्णद्वैपायन. ब्रह्मवैवर्त पुराण . गोरखपुर: गीता प्रेस, गोरखपुर .