बहन
बहन एक महिला सहोदर है। एक ही माता पिता की संतानों को सगे बहन भाई बहन कहा जाता है। लेकिन मौसी, फुफा, चाचा, मामा,अंकल आदि की संतानें सगे बहन भाई नही होते। अगर कोई व्यक्ति किसी स्त्री को राखी बांधे एवं अपनी बहन कह कर संबोधित करता है तो वो मुह बोली बहन कहलाती है । भारतीय संस्कृति में भाई बहन के रिश्ते में रक्षाबंधन पर्व या त्योहार मनाया जाता है जिसमें भाई अपने बहन के रक्षार्थ वचनबद्ध होता है। कोई भी लड़का लड़की से राखी बंधवाये तो वो उसकी मुह बोली बहन हो जाती है। बहन भाई का बहुत पवित्र रिश्ता होता है। किसी भी लडकी को बहन संबोधित करना उसे बहन तुल्य पवित्रता से देखते हुए आत्मीयता व सम्मानजनक माना जाता है। बहन यह सामाजिक संबोधन है। मानव सभ्यता के सबसे प्राचीनतम ग्रंथ वेद कहते हैं - भाई अपने भाई के साथ कभी लड़ाई न करे । तथा बहिन अपनी बहिन के साथ झगड़ा न करे । भाई बहन में कभी झगड़ा न हो । सब आपस में मिल जुल कर प्रेम के साथ वर्ताव करें ।[1] भारतीय समाज में एक पुरूष के लिए उसकी मां और बहन गंगा जल के समान पवित्र होती है।[2] महाभारत अनुशासनपर्व मे वर्णित है - बडी बहन, बहन तो है ही किंतु बडी होने के कारण वो माता के समान है।[3]
अनुज वधु भगिनी सुत नारी। सुनु सठ कन्या सम ए चारी। इन्हहिं कुदृष्टि बिलोकइ जोई। ताहि बधें कछु पाप न होई।।[4]
अर्थात् (श्री रामजी ने कहा) हे मूर्ख! सुन, छोटे भाई की स्त्री, बहिन, पुत्र की स्त्री और कन्या- ये चारों समान हैं। इनको जो कोई बुरी दृष्टि से देखता है, उसे मारने में कुछ भी पाप नहीं होता।।[5] इस तरह बहन के आबरू के रक्षार्थ प्राण दे देना व ले लेना भारतीय संस्कृति का आदर्श रहा है। हिंदू शास्त्रों में बहन भी पुरूष की माता मे समाविष्ट है।[6][7]
देखें
बाहरी कडियाँ
संदर्भ
- ↑ Akhand jyoti Shriram SharmaJan 1941 अखंड ज्योति (Hindi में). 1941-01-01. अभिगमन तिथि 2021-03-27.
मा भ्राता भ्रातरं द्विक्षन् । मा स्वसारमृत स्वसा ॥ अथर्व ०३ |३०|३. भाई अपने भाई के साथ कभी लड़ाई न करे । तथा बहिन अपनी बहिन के साथ झगड़ा न करे । भाई बहन में कभी झगड़ा न हो । सब आपस में मिल जुल कर प्रेम के साथ वर्ताव करें ।
सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link) - ↑ भारत/india. vijay-raj chauhan. 2008. पृ॰ 127. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7658-046-5.
- ↑ "महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय 105 श्लोक 13-19 - Bharatkhoj". bharatkhoj.org. अभिगमन तिथि 2023-09-26.
- ↑ Pursnani, Sanjay (2022-10-08). Sri Ramcharitmanas: Adarsh Jeevan Ki Prerna. BFC Publications. पृ॰ 61. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-5632-037-6.सीएस1 रखरखाव: तिथि और वर्ष (link)
- ↑ "अनुज वधु भगिनी सुत नारी, सुनु सठ कन्या सम ए चारी, इस चौपाई को पढ़ने के बाद जज ने सुना दी ये एतिहासिक सजा". www.google.com. अभिगमन तिथि 2023-09-26.
- ↑ Caturvedī, Rameśa (2001). Śrīkr̥sṇạjanmakhanḍạm (अंग्रेज़ी में). Parimal Publications. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7110-195-5.
- ↑ Verma, Shyam Bahadur (2009). Brhat Visva Sukti Kosa-II (ebook) (Hindi में). Prabhat Prakashan. पृ॰ 820. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788173151699.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)