बस्तर
बस्तर | |
— जिला — | |
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०) | |
देश | भारत |
राज्य | छत्तीसगढ़ |
महापौर | |
सांसद | श्री दिपक बैज |
जनसंख्या • घनत्व | 13,02,253 (2001 के अनुसार [update]) |
क्षेत्रफल | 8755.79 Sq. K.m कि.मी² |
आधिकारिक जालस्थल: bastar.gov.in/ |
निर्देशांक: 19°02′N 82°03′E / 19.04°N 82.05°E
बस्तर छत्तीसगढ़ प्रान्त का एक जिला है। ख़ूबसूरत जंगलों और आदिवासी संस्कृति में रंगा ज़िला बस्तर, प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी के तौर पर जाना जाता है। 39114 वर्ग किलोमीटर में फैला ये ज़िला एक समय केरल जैसे राज्य और बेल्जियम, इज़राइल जैसे देशॊ से बड़ा था। ज़िले का संचालन व्यवस्थित रूप से हो सके इसके लिए 1998 में इसमें से दो अलग ज़िले कांकेर और दंतेवाड़ा बनाए गए। बस्तर का ज़िला मुख्यालय जगदलपुर, राजधानी रायपुर से 305 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ज़िले की करीब 70 प्रतिशत आबादी गौंड, मारिया-मुरिया, ध्रुव और हलबा जाति की है,जो अपनी खूबसूरत जनजातीय परंपरा को सादगी से समेटे हुए हैं। उड़ीसा से शुरू होकर बीजापुर की भद्रकाली नदी में समाहित होने वाली करीब 290 किलोमीटर लंबी इंद्रावती नदी बस्तर के लोगों के लिए आस्था और भक्ति की प्रतीक है। इंद्रावती नदी के मुहाने पर बसा जगदलपुर एक प्रमुख सांस्कृतिक एवं हस्तशिल्प केन्द्र है। यहां मौजूद मानव विज्ञान संग्रहालय में बस्तर के आदिवासियों की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक एवं मनोरंजन से संबंधित वस्तुएं प्रदर्शित की गई हैं। डांसिंग कैक्टस कला केन्द्र, बस्तर के विख्यात कला संसार की अनुपम भेंट है। यहां एक प्रशिक्षण संस्थान भी है। पर्यटन स्थल - बस्तर महल, दलपत सागर, चित्रकोट जलप्रपात, तीरथगढ़ जलप्रपात, कुटुमसर और [[कैलाश गुफा],और एक ग्रिन गुफा मिला है।
बस्तर का इतिहास संस्था संस्था
यह पहले के दक्षिण कौशल नाम से जाना जाता था। क्यों की यहाँ बहुत जंगल था इसलिए इसका नाम दक्षिण कौशल पड़ा। यह काकतीय वंश के राजा पुरूषोत्तम देव का शासन क्षेत्र था जिन्हें रथपति की उपाधि ओड़िसा के राजा द्वारा दिया गया था तथा राजा पुरूषोत्तम देव द्वारा बस्तर में गोंचा पर्व की शुरुवात की गई।