बछड़ा
बछड़ा गाय का नर बच्चा कहलाता है। बछड़े का जन्म गाय से और साँड के वीर्य द्वारा होता है। आगे बड़े होने पर कुछ लोग बछड़े से बोछा उठवाते हैं तो कुछ उन्हें अवारा छो॓ड़ देते हैं।
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कई लोग बैल और साँड दोनों में अंतर नहीं बता पाते क्योंकि दोनों ही बछड़े का युवा रूप होते हैं। इस समय में बछड़े के अंडकोषों को मशीनों द्वारा नष्ट किया जाता है लेकिन पहले के समय में बछड़े के अंडकोषों को दबाकर नष्ट किया जाता था जिसमें बछड़े को असहनीय दर्द होता था और कई बार बछड़ा मर भी जाया करता था। अंडकोष नष्ट होने के बाद बछड़े की नाक में नकेल डालकर बछड़े को बैल बना लिया जाता था। इस दौरान बछड़े की सारी ताकत और गुस्सा इंसान काबू कर लेता है। वहीं जब बछड़े को खुला छोड़ दिया जाता है तो उसके अंडकोष नष्ट नहीं किए जाते जिससे वह ताकत और गुस्से से भरपूर होता है और वह साँड बन जाता है। ताकत और गुस्से के मामले में साँड को ही आगे रखा जाता है और साथ ही साँड को आज़ादी का प्रतीक माना जाता है। वहीं बैल को शांति और गुलामी का प्रतीक माना जाता है। आगे जाकर बैल को खेत जुतवाने और बोछा उठवाने के काम में लगाया जाता है। वहीं साँड के वीर्य से ही गाय को गर्भधारण करवाया जाता है।