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प्रांतीय महिला स्व सहायता समूह महासंघ

प्रांतीय महिला स्व सहायता समूह महासंघ
सिद्धांत स्व सहायता समूह एवं रसोईया बहिनों को न्याय
स्थापना 2011
संस्थापक सरिता ओमप्रकाश बघेल
स्थापना हुई भोपाल, मध्य प्रदेश
प्रकार Non - government organisation (NGO)
Professional title
महासंघ परिवार
जालस्थलhttps://www.madhyanbhojan.in/

परिचय:

प्रांतीय महिला स्व सहायता समूह महासंघ की महिलाओं एवं लोक कल्याण पर आधारित समाजसेवा संगठन है। यह किसी परिवार, जाति या वर्ग विशेष संगठन नहीं है। महासंघ में जोड़ने वाला सूत्र है- स्व सहायता समूह की महिलाओं की परेशानियों को हल करना एवं रोजगार प्राप्त करना। प्रांतीय महिला स्व सहायता समूह महासंघ एक गतिशील और प्रभावशाली संगठन है जो [मध्य प्रदेश] में स्व सहायता समूह, रसोईया महिलाओं को न्याय एवं सशक्त बनाने के लिए समर्पित है। यह महासंघ अनगिनत महिलाओं के ने प्रगति के पीछे की गतिविधियों में एक प्रमुख शक्ति है। इसके आंदोलन जैसे कई माध्यम से, यह महिलाओं के लिए स्वावलंबन बनाने, महिलाओं को बढ़ावा देने और नारी शक्ति के लिए पूर्ण अधिकार प्राप्त हो इसके लिए सफलतापूर्वक एक मंच बनाया है।

इतिहास और पृष्ठभूमि:

प्रांतीय महिला स्व सहायता समूह महासंघ की स्थापना [2011] में हुई थी, जब [मध्य प्रदेश] में स्व सहायता समूह एवं रसोईया महिलाओं के सामाजिक- परेशानियों चुनौतियों को समाधान करने की अप्रत्याशित जरूरत को ध्यान में रखते हुए की गई थी। संघ ने महसूस किया कि स्व सहायता समूह एवं रसोईया की महिलाएं अपने स्कूल के बच्चो के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, इसलिए संघ का उद्देश्य महिलाओं को कौशल विकास और उनका अधिकार दिलाना महिलाओं को कोई परेशानियों का सामना ना करना पड़े, जैसे राशि, खाद्यान्न आदी।

विचारधारा:

प्रांतीय महिला स्व सहायता समूह महासंघ की निम्नानुसार बिंदुओं में विचारधारा है -

• प्रांतीय महिला स्व सहायता समूह महासंघ की विचारधारा को एक शब्द में कहना हो तो वह है ‘नारी का सम्मान’। इनका मूल उद्देश्य , इनकी प्राथमिकता है। • इनकी प्राथमिकता है स्व सहायता समूह एवं रसोइयों की हरसंभव परेशानियों को हल करना। स्व सहायता समूह की महिलाओं को हो रही परेशानियों को संगठित होकर शासन तक बात को पहुंचाना एवं जमीनी स्तर पर हर संभव प्रयास करना । इनकी विचारधारा के अनुसार हर महिला इनकी बहन है । भारत मां की संतान होने के नाते सभी भारतवासी सहोदर यानि भाई-बहन हैं। •एकात्म मानववाद इनका मूल दर्शन है। यह दर्शन इन्हे मनुष्य के शरीर, मन, बृद्धि और आत्मा का एकात्म यानि समग्र विचार करना सिखाता है। यह दर्शन मनुष्य और समाज के बीच कोई संघर्ष नहीं देखता, बल्कि मनुष्य के स्वाभाविक विकास-क्रम और उसकी चेतना के विस्तार से परिवार, गाँव, राज्य, तक उसकी पूर्णता देखता है। यह दर्शन प्रकृति और मनुष्य में मां का संबंध देखता है, जिसमें प्रकृति को स्वस्थ बनाए रखते हुए अपनी आवश्यकता की चीज़ों का दोहन किया जाता है।